बोधगया: पौराणिक मान्यता के अनुसार सतयुग से स्थित धर्मराज की तपोस्थली धर्मारण्य पिंड वेदी पूरी तरह से असुरक्षित है. यहां मौजूद कई प्राचीन व कीमती मूर्तियां अब भी भगवान भरोसे हैं. शाम ढलते ही यहां पर अंधेरा पसर जाता है. इस दौरान मंदिर परिसर में पूर्ण रूप से सन्नाटा छा जाता है. यहां की रखवाली करनेवाला भी कोई नहीं है.
इतना ही नहीं धर्मारण्य से थोड़ी ही दूरी पर सदियों से अवस्थित मतंग ऋषि की तपोस्थली मातंगवापि में भी सिर्फ दिन के उजाले में ही श्रद्धालुओं का अवागमन होता है.
यहां भी कई देवी-देवताओं की दुर्लभ व बेशकीमती मूर्तियां स्थापित हैं. इन धर्मस्थलों व वहां मौजूद धरोहरों को सुरक्षा के नजरिये से ओझल ही कहा जा सकता है. दूसरे शब्दों में कहें, तो अपराधियों व मूर्ति तस्करों के रहमोकरम पर ही उक्त स्थलों पर धरोहर बचे हुए हैं. बुद्ध की तपोस्थली सुजाता गढ़ की बात करें, तो यहां भी सुरक्षा के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं की गयी है.