उक्त बातें गांधी मैदान में रविवार की शाम विगत 16 जनवरी से आयोजित हस्तशिल्प मेला एवं प्रदर्शनी के समापन पर मगध प्रमंडल के आयुक्त आरके खंडेलवाल ने कहीं. प्रमंडलीय आयुक्त ने कहा कि गया में मेले की बाढ़ सी आ गयी है.
उद्योग विभाग और आगे बढ़ कर काम करे. पिछले साल की तुलना में इस बार मेले में अच्छी बिक्री हुई है. इससे स्टॉल लगाये लोग काफी खुश हैं. उन्हें लाभ हुआ है. उन्होंने कहा कि जैसा कि उद्योग विभाग के डिप्टी डायरेक्टर अशोक कुमार सिन्हा ने बताया कि वर्ष 2013 से इस तरह का मेला उद्योग विभाग व उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान, पटना के सहयोग से लगाया जा रहा है.
पहले साल बोधगया में लगे मेले में चार लाख की बिक्री हुई. दूसरे साल 2014 में गया के गांधी मैदान में लगे मेले में 24 लाख, तो इस साल 60-62 लाख रुपये की बिक्री हुई. शिल्पकार, कलाकार, बुनकर व अन्य प्रतिभाओं को एक प्लेटफॉर्म मिला है. जरूरत है उन्हें फारवर्ड लिंकेज व उचित मूल्य मिले. इसके लिए उनका उत्साहवर्धन किया जाये. मेले से जरूरत की चीजें खरीद कर गयावासियों ने अपनी बचत का सदुपयोग किया है. उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों की प्रतिभाएं भी निखरी हैं. बच्चे क्रिएटिव हों. उनका पर्सनालिटी डेवलप करना जरूरी है. विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लिये बच्चों को भी यहां पुरस्कृत किया गया है. इस मौके पर साहित्यकार गोवर्धन प्रसाद सदय ने कहा कि वर्ष में कई बार ऐसी प्रदर्शनी लगाने की जरूरत है. सेंट्रल बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष डॉ कौशलेंद्र प्रताप ने मेले को हमेशा सहयोग देने की बात कही. उन्होंने कहा कि ऐसे मेले से गांव व दूर-दराज की छिपी प्रतिभाओं को भी प्लेटफॉर्म मिल जाता है. इस मौके पर भागलपुर से आयी
बिहार राज्य हस्तकरघा बुनकर सहयोग संघ की उपाध्यक्ष बीबी अनवरी, जिला उद्योग विभाग के महाप्रबंधक अजय कुमार महतो व मंजु शर्मा आदि मौजूद थे. मंच का संचालन उद्योग विभाग के डिप्टी डायरेक्टर अशोक कुमार सिन्हा ने किया.