लोग चर्चा कर रहे थे कि आखिर थाने की पैट्रोलिंग पुलिस कहां रहती है? क्या शहर में फिर से अपराधियों का बोलबाला होने वाला है? आखिर कुछ माह पहले तक सब-कुछ ठीक-ठाक था, अब पुलिस पदाधिकारियों को क्या हो गया है? क्या अब अपराधियों के मन में पुलिस का खौफ समाप्त हो गया? क्या अब अपराधियों से मुकाबला करने के लिए लोगों को खुद कानून को हाथ में लेना होगा? शहरी थानों में युवा पुलिस पदाधिकारियों के बजाय उम्रदराज पुलिस पदाधिकारियों की पोस्टिंग क्यों की गयी है? शहर में खुलेआम अपराधियों ने दुकानदार पर जानलेवा हमला किया और दुकानदार व घटना से रु-ब-रू होने के लिए एक भी पुलिस के वरीय अधिकारी वहां नहीं आये.
सिर्फ थाने की पुलिस पर मामले की छानबीन करने की जिम्मेवारी छोड़ देना, कहां तक उचित है. थाने की पुलिस की शिथिलता के कारण ही तो अपराधियों का मनोबल बढ़ा है. लोग आपस में चर्चा कर रहे थे कि गया शहर में डीआइजी, एसएसपी व सिटी एसपी का आवास है. लेकिन, एक भी वरीय अधिकारी ने घटनास्थल का जायजा लेना उचित नहीं समझते हैं. आखिर ऐसा क्यों?