गया: एक नवजात बच्ची की रविवार को चोरी के बाद प्रभावती अस्पताल एक बार फिर सुर्खियों में है. हर बार की तरह इस बार भी बच्च चोरी के लिए पुराना तरीका अपनाया गया है. इससे स्पष्ट है कि अजनबी महिला साधारण नहीं, बल्कि पेशेवर ‘बच्चा चोर’ है. हालांकि, अस्पताल प्रशासन की ईमानदार पहल से इसकी पुनरावृत्ति रुक सकती है, लेकिन इसके लिए मरीजों व उनके परिजनों को भी सतर्क रहना होगा.
हमदर्द बन कर बच्चा चोरी
प्रभावती अस्पताल से नवजात बच्चों की चोरी की एक लंबी फेहरिस्त है. पर, हर बार चोरी के लिए एक ही स्टाइल को अपनाया जाता रहा है.
घटना को अंजाम देने से पहले पेशेवर चोर मरीज व उनके परिजनों को विश्वास में लेने के लिए मददगार बन कर 12 से 24 घंटे तक साथ रहती हैं. उनके हर दु:ख-तकलीफ में मदद करती है, ताकि आसपास के लोग भी समङो कि वह उसी के परिवार का कोई सदस्य है. सेवा का भी कोई मौका नहीं छोड़ती, लेकिन हमेशा उसकी नजर नवजात पर ही होती है और मौका मिलते ही बच्चे लेकर फरार हो जाती है.अगर मरीज व उनके परिजन चौकस रहें और अनजान लोगों पर भरोसा न करें, तो इस तरह की घटना से बचा जा सकता है.