उसका कोई बच्चा भी नहीं था, इसीलिए उसका अकेलापन भारी पड़ने लगा. इधर, मायके में रहते-रहते वह कुछ अन्य रिश्तेदारों के संपर्क में आ गयी. पता चला है कि पिछले कुछ दिनों से उसका ससुरालवालों से मनमुटाव हो गया था. वह जब भी ससुराल आती, संपत्ति के बंटवारे को लेकर उपेंद्र से उलझ जाती. चर्चा है कि इस मामले रेखा को कोई सपोर्ट भी कर रहा था. उपेंद्र नहीं चाहता था कि संपत्ति का बंटवारा हो. इसे लेकर रेखा की उपेंद्र से नाराजगी रहती थी.
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बिखर गया भाइयों का सजाया परिवार
गया/मानपुर: किसान उपेंद्र का परिवार काफी खुशहाल था. वह खेतीबाड़ी के अलावा बड़े लेवल पर दूध का उत्पादन करता था. इसमें उसके बड़े भाई उदय सिंह सहयोग करते थे. हालांकि, उनका मंझला भाई सत्येंद्र ज्यादा तेज-तर्रार नही है, बावजूद इसके तीन भाइयों में प्रेम था और तीनों का परिवार हंसी-खुशी रहता था. लेकिन, पिछले साल […]
गया/मानपुर: किसान उपेंद्र का परिवार काफी खुशहाल था. वह खेतीबाड़ी के अलावा बड़े लेवल पर दूध का उत्पादन करता था. इसमें उसके बड़े भाई उदय सिंह सहयोग करते थे. हालांकि, उनका मंझला भाई सत्येंद्र ज्यादा तेज-तर्रार नही है, बावजूद इसके तीन भाइयों में प्रेम था और तीनों का परिवार हंसी-खुशी रहता था. लेकिन, पिछले साल रक्षाबंधन के दिन सड़क हादसे में उपेंद्र के बड़े भाई उदय की मौत के बाद परिवार बिखरने लगा. पति की मौत के बाद उनकी पत्नी रेखा अधिकतर समय अपने मायके औरंगाबाद के मदनपुर इलाके में ही रहने लगी.
बांस लगा कर छत से होकर अंदर घुसे थे हमलावर : करीब एक सप्ताह पहले रेखा मायके से तीन-चार रिश्तेदारों के साथ शेखा बिगहा आयी थी. अपने हिस्से का धान व फसल से जुड़े अन्य सामान बेच कर मायके वापस लौट गयी थी. रेखा के इस कदम से उपेंद्र का परिवार दु:खी था. सुनने में आया है कि उनमें कहा-सुनी भी हुई थी. इसी मनमुटाव के बीच बुधवार की देर रात उपेंद्र के घर के पिछवाड़े एक बांस लगा कर एक हमलावर छत पर चढ़ गया और नीचे आकर मेन दरवाजा खोल दिया. इससे करीब आठ हमलावर अंदर घुसे और घर के अलग-अलग कमरों में सो रहे उपेंद्र, उनकी पत्नी पिंकी देवी, मंझले भाई सत्येंद्र प्रसाद, उनकी पत्नी व चार बच्चों को अपने कब्जे में ले लिया.
होश आने के पहले ही छिन गया पिता का साया : घटना के बाद शेखा बिगहा गांव में गुरुवार की सुबह से ही सैकड़ों लोग वहां जुटे रहे. सभी लोग हत्या की घटना से संबंधित पूरी जानकारी लेने की कोशिश कर रहे थे. घर की महिलाओं व बच्चों का हाल बुरा था. उपेंद्र की पत्नी पिंकी बेसुध थी. घर के छोटे बच्चे घटना से अनजान थे. बच्चों को देख कर कुछ लोग कह रहे थे कि होश आने के पहले ही पिता का साया छिन गया.
घर में पंप चला कर धोये हाथ-पैर
उपेंद्र की गला काट कर हत्या के बाद काफी मात्रा में खून पसर गया. अपराधियों के हाथों में भी खून लग गये. हत्या के बाद अपराधी आंगन में पहुंचे. पंप चला कर हत्यारों ने अपने-अपने हाथ-पैर धोये और घर के मुख्य दरवाजे को बंद कर चले गये. इस दौरान कमरों में बंद परिजनों को कुछ पता नहीं चल रहा था कि उपेंद्र के साथ क्या हो रहा है. काफी देर तक जब घर में आहट सुनायी नहीं दी, तो परिजनों ने शोर मचाना शुरू किया. तब, गांववाले जुटे और घटना की जानकारी पुलिस को दी.
थाने से 500 मीटर दूरी पर हुई घटना
शेखा बिगहा गांव बुनियादगंज थाने से करीब 500 मीटर की दूरी पर स्थित है. लेकिन, इस घटना की भनक पुलिस को नहीं लगी. सूचना है कि हत्यारों में शामिल कुछ लोग चार पहिया वाहन से आये थे. लेकिन, उन्होंने अपनी गाड़ी को शेखा बिगहा से कुछ दूरी पर लगा दी थी. हत्या के बाद हत्यारे उसी गाड़ी से फरार हो गये. पुलिस ने भी अपराधियों के गाड़ी से आने की पुष्टि की है.
शेखा बिगहा गांव में छाया मातम
उपेंद्र की निर्मम हत्या की सूचना फैलते ही शेखा बिगहा गांव में मातम छा गया. उपेंद्र का व्यवहार बहुत ही कुशल था. उसके व्यवहार से आसपास के लोग काफी खुश रहते थे.
सुरक्षा देने की मांग
उसरी पंचायत के मुखिया प्रह्वाद पासवान, वार्ड 48 की पार्षद हाजरा खातून व समाजसेवी मोहम्मद ताहिर हुसैन ने उपेंद्र के हत्यारों को गिरफ्तार करने व उनके परिजनों को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग डीएसपी एमके सुधांशु से की है.
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