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धर्मांतरण नहीं, धर्मानुसरण की पहल

महाबोधि मंदिर के मुख्य पुजारी भंते चालिंदा से खांजहांपुर के लोगों की पहल के बाबत पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह धर्मांतरण नहीं, धर्मानुसरण की शुरुआत है. कोई भी व्यक्ति बौद्ध धर्म का अनुसरण करने के लिए स्वतंत्र है. औपचारिक तौर पर बौद्ध धर्म अपनाने के लिए विधि-विधान अलग हैं. इसके लिए किसी बौद्ध […]

महाबोधि मंदिर के मुख्य पुजारी भंते चालिंदा से खांजहांपुर के लोगों की पहल के बाबत पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह धर्मांतरण नहीं, धर्मानुसरण की शुरुआत है. कोई भी व्यक्ति बौद्ध धर्म का अनुसरण करने के लिए स्वतंत्र है. औपचारिक तौर पर बौद्ध धर्म अपनाने के लिए विधि-विधान अलग हैं. इसके लिए किसी बौद्ध भिक्षु के नेतृत्व में विशेष धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन होता है, जिसमें पंचशील का पालन करने का व्रत लेना होता है. इसके बाद व्रतधारी को जीव हत्या, मदिरापान, व्यभिचार, मिथ्या और चोरी जैसी आदतें हमेशा के लिए त्याग देनी होती हैं. धर्मांतरण के लिए होनेवाले आयोजन में सूत्रपाठ आवश्यक होता है. इतना ही नहीं, चीवर धारण करना भी महत्वपूर्ण होता है. साथ ही किसी भंते को गुरु मान कर ही एक व्यक्ति को बौद्ध धर्म अपनाते हुए एक नयी जीवन यात्रा शुरू करनी होती है.

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