बोधगया: मनरेगा योजना के क्रियान्वयन में आने वाली परेशानी व सुझाव को लेकर बोधगया में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें ग्रामीण विकास मंत्रलय के नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेस की हेड पूनम सिंह व कंसल्टेंट अकीफ अहमद द्वारा मनरेगा योजना के सफलता व विफलता के बारे में प्रोग्राम पदाधिकारियों, स्वयंसेवी संस्थाएं व जन प्रतिनिधियों से जानकारी ली. कार्यशाला में बिहार, झारखंड व यूपी के प्रतिनिधि शामिल हुए. इसमें मुखिया सर्वेशर सिंह ने कहा कि गया जिले में ज्यादातर मजदूर ईंट बनाने में माहिर हैं.
उन्होंने बताया कि यहां ईंट बनाने का काम सरकारी स्तर से या मनरेगा योजना के तहत नहीं होने के कारण अधिकतर मजदूर दूसरे प्रदेशों में पलायन कर जाते हैं. इससे जिले में योजनाएं प्रभावित हो जाती है. इसी तरह झारखंड के गुमला से आये गांधी पीस फाउंडेशन के प्रतिनिधि ने बताया कि गुमला में स्वयं सहायता के माध्यम से मनरेगा योजना को बेहतर परिणाम प्राप्त हुआ था पर, बाद में पदाधिकारियों की लापरवाही के कारण योजनाओं के प्रारूप को बदल दिया गया व मजदूरों के समक्ष समस्या खड़ी कर दी गयी.
उन्होंने योजना वार मजदूरों का रजिस्ट्रेशन कराने की सलाह दी. इसी तरह यूपी के प्रतिनिधि ने पौधारोपण सहित अन्य योजनाओं का डेमोस्ट्रेशन दिया. पूनम सिंह ने बताया कि सभी प्रतिनिधियों के अनुभवों व सुझावों को मंत्रलय के समक्ष पेश किया जायेगा व आगे की रणनीति पर विमर्श किया जायेगा.
बुधवार को सभी प्रतिभागी गांवों का भ्रमण कर मनरेगा से कराये गये कार्यो का जायजा लेंगे. कार्यशाला में बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग, पटना के ओएसडी शंभु कुमार ने भी शिरकत की.