गया: टिकारी रोड स्थित श्रीराम तिलकुट भंडार में विधायक डॉ सुरेंद्र प्रसाद यादव व तिलकुट दुकानदार में हुई मारपीट मामले को लेकर शहर के व्यवसायियों में भी आक्रोश है. व्यवसायी आरोप लगा रहे हैं कि पुलिस ने इस मामले में एकतरफा कार्रवाई की है. इस बाबत मंगलवार की देर शाम शहर के अजातशत्रु होटल में नगर विधायक डॉ प्रेम कुमार ने बैठक की.
बैठक में सेंट्रल बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स, व्यवसायी एकता मंच, बुनकर संघ समेत कई अन्य व्यवसायी संगठन व भाजपा व जदयू के नेताओं ने भाग लिया. विधायक ने बताया कि बैठक में 17 को आंबेडकर पार्क में महाधरना देने, 18 की शाम शहर में मशाल जुलूस निकालने व 19 को गया बंद का निर्णय लिया गया.
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के इशारे पर पुलिस ने इस मामले में एकतरफा कार्रवाई की है. उन्होंने कहा कि विधायक के बॉडीगार्ड की पिटाई से घायल दुकानदार धीरेंद्र कुमार केसरी को जानलेवा हमला करने के आरोप में जेल भेज दिया गया. लेकिन, दुकानदार की पिटाई करनेवाले बॉडीगार्ड की गिरफ्तारी नहीं हुई. उन्होंने कहा कि मंगलवार को गया बंद के दौरान व्यवसायियों को डराने-धमकाने की कोशिश की गयी. शिवम तिलकुट भंडार में तोड़-फोड़ की गयी.
दुकानदार पर लगायी गयी धाराएं गलत : पूर्व मंत्री, पूर्व मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने बताया है कि राजद विधायक डॉ सुरेंद्र प्रसाद यादव ने दुकानदार भाइयों के विरुद्ध दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में कोतवाली थाने की पुलिस ने गलत धाराओं का प्रयोग किया गया है. उन्होंने बताया कि सरकारी कामकाज में बाधा डालने पर दर्ज करायी प्राथमिकी में धारा-353 का प्रयोग किया जाता है. किसी सामान की चोरी होने पर धारा-379 का प्रयोग किया जाता है. लेकिन, विधायक का बॉडीगार्ड तो श्रीराम तिलकुट भंडार में तिलकुट खरीदने गया था. उस दौरान झड़प व मारपीट हुई. अब पहला सवाल है कि क्या तिलकुट खरीदना बॉडीगार्ड का सरकारी काम था? दूसरा सवाल है कि घटनास्थल से किसी सामान की चोरी हुई, जिस कारण धारा 379 का प्रयोग किया गया. पूर्व मंत्री ने कहा कि प्राथमिकी में दर्ज धाराओं से स्पष्ट है कि पुलिस ने दुकानदार के विरोध में एक पक्षीय कार्रवाई की है.
जब दुकानदार जेल चला गया, तो बंद क्यों?: भाजपा के वरीय नेता अखौरी निरंजन ने बताया कि दुकानदार को गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेज दिया, तो फिर बंद क्यों? महागंठबंधन के लोग चिड़िया पर तोप छोड़ने का काम कर रहे हैं. व्यवसायियों को डरा-धमका कर पुन: जंगलराज कायम करने की कोशिश की जा रही है. महागंठबंधन का बंद महाजंगलराज की वापसी का संकेत दे रहा है.