बोधगया: महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के संस्थापक वेन अनागारिक धर्मपाल की 150वीं जयंती वर्ष में आयोजित इंटरनेशनल धम्म कॉन्फ्रेंस में भगवान बुद्ध के उपदेश व उनके बताये रास्ते को बौद्ध धर्म के विद्वानों ने आज भी प्रासंगिक बताया. विद्वानों ने कहा कि विश्व में शांति व भाईचारा लाने में बौद्ध धर्म समर्थ है.
कॉन्फ्रेंस में शेचेन इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष दिलगो ख्येंत्से रिनपोछे ने कहा कि बुद्ध के उपदेश हमें सामाजिक बनाता है. जीवों के प्रति दया का भाव रखने के लिए प्रेरित करता है. सहिष्णुता का पाठ पढ़ाता है. उद्घाटन सत्र में मगध के आयुक्त आरके खंडेलवाल ने कहा कि महात्मा बुद्ध ने समाज में शांति व भाईचारा फैलानेवाले तथ्यों को सर्वोपरि रखा था. आज उनका अनुकरण समाज के लिए लाभप्रद है.
मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एम इश्तियाक ने कहा कि लोगों के बीच सद्भाव व समन्वय के लिए आपसी बातचीत व चर्चा जरूरी है. इसके लिए धर्म सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच है. इससे लोगों के विचार जानने का अवसर मिलता है. वीसी ने कहा कि समाज में जो भी वैमनस्य है उसका कारण अज्ञानता है. इसे शिक्षा से ही दूर किया जा सकता है. वीसी ने सामाजिक सौहार्द के लिए बुद्ध के उपदेश को महत्वपूर्ण बताया. इस अवसर पर अंतियोक इंटरनेशनल के निदेशक प्रो राबर्ट प्रायर ने कहा कि अब बौद्ध धर्म का विस्तार हो रहा है. इसके लिए महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया (श्रीलंका बौद्ध मठ) के संस्थापक अनागारिक धर्मपाल के प्रति हम कृतज्ञ हों. उन्होंने वेन धर्मपाल को आधुनिक बौद्ध धर्म के पुनरूद्धारक बताया और कहा कि बौद्ध मठों की संख्या बढ़ाने के स्थान पर वेन अनागारिक के विचारों का प्रचार-प्रसार ज्यादा जरूरी है. इससे विश्व में सहिष्णुता का वातावरण तैयार होगा.
महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया व इंटरनेशनल बुद्धिष्ट काउंसिल (आइबीसी) के सहयोग से आयोजित धम्म सम्मेलन के दूसरे सत्र में भी म्यांमार, तिब्बत, थाईलैंड, श्रीलंका, वियतनाम, भूटान, बांग्लादेश, भारत व मलेशिया के बौद्ध भिक्षुओं ने अपने-अपने विचार रखे. इससे पहले सुबह सात बजे श्रीलंका मठ से महाबोधि मंदिर तक भगवान बुद्ध की मूर्ति के साथ शोभायात्र निकाली गयी. शाम को धम्म सम्मेलन का समापन कैंडल मार्च के साथ किया हुआ. सम्मेलन में महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के संयुक्त सचिव वेन के मेदंकर थेरो व आइबीसी के महासचिव किरण लामा, बौद्ध मठों के प्रभारी, भिक्षु व विभिन्न देशों के बौद्ध श्रद्धालु भी शामिल हुए.