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धान की खरीद पर अब भी गतिरोध

गया : जिले में धान की खरीद का लक्ष्य 107 मीटरिक टन (एमटी) रखा गया है. इनमें 80 फीसदी अर्थात 96,300 मीटरिक टन धान पैक्स व व्यापार मंडल को खरीदना है. बाकी 10,700 मीटरिक टन धान बिहार राज्य खाद्य निगम (एसएफसी), गया के क्रय केंद्रों को खरीद करना है. जिले में 332 पैक्स हैं, जिनमें […]

गया : जिले में धान की खरीद का लक्ष्य 107 मीटरिक टन (एमटी) रखा गया है. इनमें 80 फीसदी अर्थात 96,300 मीटरिक टन धान पैक्स व व्यापार मंडल को खरीदना है. बाकी 10,700 मीटरिक टन धान बिहार राज्य खाद्य निगम (एसएफसी), गया के क्रय केंद्रों को खरीद करना है.
जिले में 332 पैक्स हैं, जिनमें 308 पैक्स ही क्रियाशील हैं, जो इस साल धान की खरीदी कर सकेंगे. इसके अलावा 24 व्यापार मंडल भी धान की खरीद के लिए क्रियाशील हैं. जिले में अब तक एसएफसी क्रय केंद्र हो या पैक्स कहीं भी धान की खरीद शुरू नहीं की जा सकी है.
धान क्रय केंद्र खुल गये हैं पर किसान यहां अपना धान बेचने इसलिए नहीं आ पा रहे हैं कि केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल साधारण 1360 रुपये व अच्छी क्वालिटी का प्रति क्विंटल 1400 रुपये निर्धारित किया गया है. इससे अधिक कीमत किसानों को बाजार में ही मिल जा रही है. पिछले साल धान इसलिए किसान क्रय केंद्र तक ला रहे थे कि बिहार सरकार ने निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा ढ़ाई सौ रुपये प्रति क्विंटल बोनस दी थी.
इस साल भी बिहार सरकार ने किसानों को धान की खरीद पर 300 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने की घोषणा की है पर सरकारी तौर पर जिला सहकारिता पदाधिकारी व बिहार राज्य खाद्य निगम, गया के जिला प्रबंधक को इस बाबत चिट्ठी नहीं मिली है. इन दोनों अधिकारियों की माने तो बोनस मिलने की सूचना के बाद निश्चित तौर पर किसान अपना अनाज लेकर क्रय केंद्रों तक आयेंगे. एसएफसी के जिला प्रबंधक संतोष कुमार झा ने कहा कि सभी क्रय केंद्र खुल गये हैं पर किसान अब तक धान लेकर नहीं आ रहे हैं. पटना में शनिवार को हुई बैठक में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री श्याम रजक ने 15 दिसंबर तक चिट्ठी पहुंच जाने व खरीद शुरू करने की बात कही है. उन्होंने यह बी बताया कि अभी धान की कटनी चल रही है.
ताजा धान में नमी ज्यादा होती है. क्रय केंद्र पर माइस्चर मीटर से उसकी नमी माप कर ही धान की खरीद ली जायेगी. धान में 17 प्रतिशत से अधिक नमी वाली धान की खरीद नहीं की जायेगी. जिला सहकारिता पदाधिकारी सह मगध सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक अभय झा ने बताया कि शनिवार को पटना की मीटिंग में वह शामिल थे.
सभी जिलों के पैक्सों से किसानों की सूची, बैंक का खाता संख्या, आइएफसी, जमीन का रकवा व मोबाइल नंबर मांगा गया था. गया से पहले फेज में 252 पैक्सों से 679 किसानों की सूची के साथ विवरणी जमा कर दी गयी. बाकी सूची मंगायी जा रही है. गया में नौ चावल के मिल हैं.
इनमें एक डिफाल्टर करार हो गया है. एक का मालिक इन दिनों जेल में हैं. एक ने अभी तक करार नहीं किया है. इस प्रकार बचे छह मिलरों को धान कुट्टी के लिए दिया जायेगा. किसानों को आरटीजीएस (रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट) के तहत दिये गये धान का पैसा सीधे उनके खाते में चला जायेगा. अब किसानों को को-ऑपरेटिव बैंक आने का कोई झंझट नहीं रहेगा. उनका खाता जिस किसी भी बैंक में है, वहीं से वह पैसा प्राप्त कर लेंगे.

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