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खाली रह गये एमयू के हॉस्टल

बोधगया : इस वर्ष मगध विश्वविद्यालय कैंपस स्थित छात्रवासों (हॉस्टलों) के कमरे खाली रह गये. पीजी के नए सत्र (फस्र्ट सेमेस्टर) में नामांकन कराये छात्र-छात्राओं ने हॉस्टलों के प्रति दिलचस्पी नहीं दिखायी. इस कारण करीब 600 छात्र-छात्राओं की क्षमता वाले हॉस्टलों में फिलहाल 200 विद्यार्थी ही रह रहे हैं. इनमें भी करीब 90 विदेशी छात्र […]

बोधगया : इस वर्ष मगध विश्वविद्यालय कैंपस स्थित छात्रवासों (हॉस्टलों) के कमरे खाली रह गये. पीजी के नए सत्र (फस्र्ट सेमेस्टर) में नामांकन कराये छात्र-छात्राओं ने हॉस्टलों के प्रति दिलचस्पी नहीं दिखायी. इस कारण करीब 600 छात्र-छात्राओं की क्षमता वाले हॉस्टलों में फिलहाल 200 विद्यार्थी ही रह रहे हैं.
इनमें भी करीब 90 विदेशी छात्र व 50 से ज्यादा वोकेशनल कोर्स के छात्र-छात्राएं हैं.एमयू के डीएसडब्ल्यू कार्यालय के अनुसार, फिलहाल मगध विश्वविद्यालय कैंपस के हॉस्टल नंबर एक में वोकेशनल कोर्स की छात्राएं, हॉस्टल नंबर चार में वोकेशनल कोर्स के छात्र, हॉस्टल नंबर पांच में पीजी की छात्राएं व हॉस्टल नंबर सात में पीजी कोर्स (ट्रेडिशनल) के छात्रों को रहने की व्यवस्था की गयी है. वहीं, पीजी के विभिन्न विभागों में अध्ययनरत म्यांमार, थाईलैंड, लाओस, तिब्बत व अन्य देशों के छात्रों को हॉस्टल नंबर तीन में कमरे उपलब्ध कराये गये हैं. उल्लेखनीय है कि नए सत्र में सिर्फ पीजी के विभिन्न विभागों में 3500 से ज्यादा छात्र-छात्राओं ने नामांकन कराया है.
हॉस्टल शुल्क में बढ़ोतरी बना मुख्य कारण
एमयू प्रशासन ने इस वर्ष हॉस्टल के शुल्क में वृद्धि की गयी. इस कारण हॉस्टल के प्रति छात्र-छात्राओं ने रुचि नहीं दिखायी. फिलहाल एमयू के हॉस्टल में रहने के लिए एक छात्र को हर वर्ष शुल्क के रूप में 3500 रुपये व मेंटेनेंस शुल्क के रूप में 2500 रुपये देने हैं. इसके अलावा कमरे में खुद से खाना पकाने पर रोक लगी है. मेस की सुविधा मुहैया करायी गयी है. इसके लिए हर माह प्रति छात्र-छात्र 2100 रुपये देने हैं. हालांकि, छात्र संगठनों ने एमयू प्रशासन से हॉस्टल शुल्क घटाने की मांग की है. एमयू के डीएसडब्ल्यू डॉ सीताराम सिंह ने बताया कि छात्र संगठनों ने हॉस्टल शुल्क कम करने की मांग की है.
उन्होंने बताया कि खुद से खाना पकाने में हीटर जलाने पर बिजली बिल ज्यादा आता था, जो हॉस्टल के नियमों के विरुद्ध भी था. उन्होंने बताया कि शुल्क में वृद्धि का निर्णय सुविधाओं में बढ़ोतरी के मद्देनजर किया गया था, लेकिन हॉस्टल में छात्र-छात्राओं की रुचि नहीं होना चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि इस वर्ष गया, बोधगया व आसपास के क्षेत्रों से ज्यादा विद्यार्थियों ने नामांकन कराया है. इस कारण छात्र-छात्राएं अपने घर से ही क्लास करना ज्यादा बेहतर महसूस कर रहे हैं. डॉ सिंह ने कहा कि वोकेशनल कोर्स में विगत दो वर्षो से नामांकन प्रक्रिया बंद होने से भी छात्र-छात्राओं की संख्या में कमी आयी है. लेकिन, अब एक-एक कर वोकेशनल कोर्स शुरू हो रहे हैं व नामांकन भी जारी है.

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