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सहायक प्राचार्य की नियुक्ति में पालि भाषा की अनदेखी

बोधगया: सूबे के विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा निकाले गये विज्ञापन में पालि भाषा को स्थान नहीं दिये जाने से शिक्षकों में असंतोष है. बीपीएससी द्वारा निकाली गयी नियुक्ति के बाद विभिन्न विषयों के लिए आवेदन जमा करने की तिथि भी 20 नवंबर को समाप्त […]

बोधगया: सूबे के विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा निकाले गये विज्ञापन में पालि भाषा को स्थान नहीं दिये जाने से शिक्षकों में असंतोष है. बीपीएससी द्वारा निकाली गयी नियुक्ति के बाद विभिन्न विषयों के लिए आवेदन जमा करने की तिथि भी 20 नवंबर को समाप्त हो गयी.

पर, अब तक आयोग द्वारा पालि के शिक्षकों के लिए नियुक्ति का विज्ञापन नहीं निकाला गया. इस मसले पर मगध विश्वविद्यालय के पालि-प्रकृत विभाग सह एमयू के पीजी टीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ कृष्णदेव प्रसाद वर्मा ने सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा है कि भगवान बुद्ध ने पालि भाषा में उपदेश दिया था. बुद्ध के मूल उपदेश त्रिपिटक भी पालि भाषा में लिपिबद्ध है. पालि भाषा का प्रचार-प्रसार भारत के अलावा श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, जापान, चीन, नेपाल व तिब्बत आदि देशों में भी हुआ है. उन्होंने कहा कि बिहार के विश्वविद्यालयों में पालि भाषा की पढ़ाई होती है व लगभग सभी कॉलेजों में भी इसकी पढ़ाई होती है. पर, बीपीएससी द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के लिए निकाले गये विज्ञापन में पालि को स्थान नहीं दिया गया, जबकि विश्वविद्यालयों द्वारा पालि के शिक्षक पद के लिए रिक्तियां भेजी गयी थीं. हालांकि, तब बीपीएससी ने पालि व अन्य शेष बचे विषयों के लिए बाद में विज्ञापन निकालने की बात कही थी. लेकिन, आवेदन जमा करने की समय सीमा समाप्त होने के बाद भी अब तक नियुक्ति नहीं निकाली गयी.

डॉ वर्मा ने सरकार से अनुरोध किया है कि सहायक प्राचार्य की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकालने का आदेश पारित कर बीपीएससी को इससे अवगत कराया जाये. इसे लेकर पालि के शिक्षकों ने एमयू में बैठक की. बैठक में पालि-प्रकृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो धीरेंद्र कुमार, डॉ लालदेव यादव(पूर्व प्रधानाचार्य एसपीवाइ कॉलेज, गया) डॉ संजय कुमार(पालि विभाग, गया कॉलेज), डॉ मोहन प्रसाद वर्मा(चंद्रशेखर जनता कॉलेज,), देवेंद्र पुष्पराज, धर्मदेव, शैलेश कुमार, डॉ कृष्ण कुमार नवीन, अनिता रानी(एएम कॉलेज, गया) व अन्य शामिल हुए. उल्लेखनीय है कि हर वर्ष की तरह मंगलवार से बोधगया के कालचक्र मैदान में 10 दिवसीय सूत्रपाठ शुरू हो रहा है. इसमें 10 देशों के बौद्ध भिक्षु पालि भाषा में ही सूत्र पाठ करेंगे.

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