* कुलपति के आदेश से छात्रों में उबाल, एक जुलाई को करेंगे आंदोलन का एलान
* राजभवन के आदेश से कॉलेजों में चल रहे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों पर लगा ग्रहण
* अब कॉलेजों को राज्य सरकार के मानव संसाधन विभाग को देनी होगी सभी जानकारी
* कॉलेजों ने स्थगित किये नामांकन परीक्षा के परिणाम
गया/पटना : राजभवन सचिवालय से मगध विश्वविद्यालय को व्यावसायिक पाठ्यक्रम की पढ़ाई के लिए दिये गये पत्र और उठाये गये कठोर कदम से कॉलेजों में हड़कंप मचा है. व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की पढ़ाई पर भी ग्रहण लग गया है.
कॉलेजों के प्रबंधन में असमंजस की स्थिति है. इस तरह का पत्र मिलते ही विभिन्न कॉलेजों में तत्काल व्यावसायिक पाठ्यक्रम में नामांकन के लिए ली गयी जांच परीक्षा के परिणाम स्थगित कर दिये गये हैं. साथ ही ‘अगले आदेश तक नामांकन नहीं हो सकेगा’ से संबंधित सूचना भी चिपका दी गयी है.
अब विद्यार्थियों का भविष्य भी अधर में लटक गया है. राजभवन से दिये गये पत्र में कहा गया है कि पढ़ाई शुरू करने के लिए राज्य सरकार से आदेश लेना जरूरी है. राजभवन के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के द्वारा लिखे गये पत्र में संबंधित पदाधिकारियों, विभागाध्यक्षों व निदेशकों को कहा गया है कि राज्य सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग को यह जानकारी दें कि कितने विद्यार्थियों का नामांकन किस व्यावसायिक पाठ्यक्रम में कराया गया है. इसकी अद्यतन जानकारी देने का निर्देश दिया गया है.
विवि अघिनियम के धारा 1976, 39 (2) (3) के सेक्शन 61 का उल्लेख करते हुए आरक्षण के निर्धारित मापदंड का अनुपालन किया गया है या नहीं, इसकी जानकारी मांगी गयी है. हालांकि, सभी कॉलेजों के प्रशासन राजभवन व राज्य सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग को यह स्पष्ट रूप से बता दिया गया है कि पढ़ाई बहुत पहले से ही शुरू की गयी है और सरकार के सभी निर्धारित मापदंड को पूरी करते हैं.
* कॉलेज प्रशासन का क्या है तर्क
इस संबंध में कॉलेज प्रशासन का कहना है कि पढ़ाई शुरू करने के पहले निरीक्षण विवि के अधिकारियों और गठित कमेटी के द्वारा कराया जाता है. इसके बाद एफिलिएशन कमेटी (संबंद्धन समिति) से प्रस्ताव पास होने के बाद एकेडमिक काउंसिल से पास होता है. इसके बाद सिंडिकेट से पारित होता है और फिर सीनेट से प्रस्ताव पारित होने के बाद पढ़ाई शुरू की जाती है.
सीनेट के पदेन अध्यक्ष कुलाधिपति होते हैं और उनके प्रतिनिधि के रूप में कुलपति बैठक की अध्यक्षता करते हैं. इसके अलावा सिंडिकेट में कुलाधिपति के बदले सरकार के नामित प्रतिनिधि, शिक्षक प्रतिनिधि सहित सभी वर्गो के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं. बैठक के बाद इन सभी पारित प्रस्ताव को मानव संसाधन में भेजा जाता है.
* सरकार की मंशा पर भी संदेह
सीनेट से पारित प्रस्ताव को मानव संसाधन विकास विभाग में भेजने के बाद सरकार का दायित्व है कि उन प्रस्तावों को पारित कर विश्वविद्यालय को वापस भेज दें. लेकिन, इन व्यावसायिक पाठ्यक्रम की पढ़ाई कई कॉलेजों में शुरू किये 10 से 12 साल से अधिक हो गये हैं. ऐसी स्थिति में राज्य सरकार की मंशा पर भी संदेह होने लगा है.
* छात्र संगठनों में भी सुगबुगाहट
छात्रों का आकर्षण सामान्य विषयों की पढ़ाई से अधिक व्यावसायिक पाठ्यक्रम की ओर है. उनके अभिभावक भी यही चाहते हैं. क्योंकि व्यावसायिक पाठ्यक्रम के बाद रोजगार की संभावना अधिक रहती है. ऐसी स्थिति में नामांकन पर रोक लगने के बाद छात्र संगठन आंदोलन की तैयारी में हैं. उन्होंने जनसंपर्क तेज कर दिया है. छात्र संगठनों में आंदोलन चलाने को लेकर प्रतिस्पर्धा देखी जा रही है. सभी इसकी अगुआई करना चाहते हैं.
* अब आंदोलन की तैयारी
इस मुद्दे पर कुलपति से मिले थे. उन्होंने राजभवन की चिट्ठी और नियम-कानून का हवाला दिया. लेकिन एडमिशन प्रक्रिया बाधित न हो, इस पर कोई पहल नहीं की. पहले सभी कॉलेजों के वोकेशनल हेड और कोर्स को-आर्डिनेटर को बुला कर जानकारी लेनी चाहिए थी. एडमिशन प्रक्रिया या परीक्षा पर रोक नहीं लगानी चाहिए थी. इसके खिलाफ एक जुलाई से आंदोलन का ऐलान किया जायेगा. जरूरत पड़ने पर राजभवन का भी घेराव किया जायेगा.
रामानंद कुमार, अध्यक्ष, मगध विवि छात्र संघ
* वोकेशनल कोर्स में एडमिशन पर रोक राजभवन का गलत कदम है और राज्य में निजी शिक्षण संस्थानों को बढ़ावा देने की साजिश है. इससे सबसे ज्यादा असर गरीब छात्रों पर पड़ेगा. इस मुद्दे पर सोमवार को मगध विवि में एक मीटिंग है, जिसमें इस सवाल पर आंदोलन तेज करने और बंदी कॉल करने की रणनीति बनायी जायेगी.
अमित शर्मा, उपाध्यक्ष मगध विवि छात्र संघ