गया: सृजित पद पर कार्यरत मगध विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग की आचार्य डॉ सुप्रीति सुमन के वेतन का भुगतान कुलपति आरके खंडेलवाल को गलत जानकारी देने के कारण रोक दिया गया. इस विभाग में एक आचार्य, तीन उपाचार्य, पांच व्याख्याता व दो प्रयोग प्रदर्शक के पद सृजित हैं. जानकारी के अनुसार, इस विभाग में डॉ रमणी कांत सिंह विभागाध्यक्ष हैं. उनके अलावा डॉ मो एचआर खान, डॉ मो शाहिद अशरफ, डॉ परशुराम सिंह, डॉ उमापति सिंह, डॉ बाल कृष्ण, डॉ सुप्रीति सुमन, डॉ सुनीति सुमन व डॉ मो इसराइल खान कार्यरत हैं.
इनमें डॉ इसराइल खान की नियुक्ति रिसर्च एसोसिएट के पद पर व डॉ मो हसीब अहमद की नियुक्ति प्रयोग प्रदर्शक के पद पर हुई थी. बाद में समयबद्ध प्रोन्नति मिलने पर शिक्षक संवर्ग में शामिल कर लिया गया. लेकिन, कुलपति को इसकी जानकारी संबंधित अधिकारी द्वारा नहीं दी गयी.
इस कारण सृजित पद पर कार्यरत आचार्य को वेतन भुगतान से वंचित कर दिया गया. डॉ सुप्रीति सुमन की नियुक्ति विवि अंगीभूत महाविद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा 23 नवंबर, 1990 को गौतम बुद्ध महिला कॉलेज में व्याख्याता के पद पर हुई थी. सेवा आयोग द्वारा 16 मार्च, 2005 को उपाचार्य के पद पर प्रोन्नति दी गयी. पुन: विवि चयन समिति ने नौ फरवरी, 2012 को आचार्य के पद पर प्रोन्नति दी. गौतम बुद्ध महिला कॉलेज से छह सितंबर, 2010 को प्रतिनियुक्ति स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग में काम किया. बाद में उन्हें उसी तिथि से प्रतिनियुक्ति को स्थानांतरण के रूप में परिवर्तित कर दिया गया. उन्होंने कुलपति से आवेदन देकर न्याय की गुहार लगायी है.
प्रयोग प्रदर्शक की क्या है शर्त
राज्य सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग के उप सचिव गजेंद्र नाथ सिन्हा द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि केंद्र सरकार यूजीसी क ी अनुशंसा से सहमत है. इसमें कहा गया है कि विश्वविद्यालय या कॉलेजों में प्रयोग प्रदर्शकों की जरूरत नहीं है. एक जनवरी, 1973 से प्रयोग प्रदर्शकों के नये पदों के लिए कोई वेतनमान स्वीकृत नहीं है. विवि के अधिकारियों को यह निर्देश दिया गया कि एक जनवरी, 1973 के पहले नियुक्त प्रयोग प्रदर्शकों की सेवानिवृत्ति या अन्य किसी कारण से पद रिक्त होता है, तो उसे भरा नहीं जायेगा. इस कारण शिक्षक संवर्ग में प्रोन्नति के बाद भी शिक्षक का पद यथावत रहेगा.