गया: शहर की सड़कों के साथ-साथ मंदिरों में भी पॉलीथिन का उपयोग चरम पर है. मंदिरों में पॉलीथिन का धड़ल्ले से प्रयोग हो रहा है. न तो इस पर मंदिरों की मैनेजिंग कमेटी का ध्यान जाता है और न ही जिला प्रशासन का. परिसर के आसपास फूल व मिठाइयां व प्रसाद को लोग पॉलीथिन बैग में ही लेकर मंदिर परिसर में प्रवेश कर जाते हैं. इस दौरान कई जगहों पर प्लास्टिक फेंका मिलता है. धार्मिक दृष्टिकोण से देखें, तो पॉलीथिन बनाने में इस्तेमाल होनेवाली रासायनिक व अन्य सामग्री के कारण इसका मंदिरों में प्रवेश पर रोक लगा दी जानी चाहिए.
श्रद्धालुओं को भी इसका कम से कम प्रयोग करना चाहिए. ऐसी चीजों का इस्तेमाल न करें, जिनसे प्रसाद की महत्ता घटती हो. हालांकि मंदिर जानेवाले लोगों का कहना है कि वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने के कारण उन्हें इसका प्रयोग करना पड़ता है.
सभी मंदिरों में दिखता पॉलीथिन
शहर के लगभग सभी मंदिरों में लोगों के हाथों में पॉलीथिन नजर आता है. विष्णुपद, मंगलागौरी, बगला स्थान, शीतला मंदिर, दुखहरणी मंदिर, वागीश्वरी मंदिर मरकडेय महादेव मंदिर में हर रोज सैकड़ों श्रद्धालु पॉलीथिन लिए नजर आ जाते हैं.
मंदिर के अंदर भी पॉलीथिन का इस्तेमाल करने से परहेज नहीं करते. इससे न सिर्फ मंदिर में गंदगी तो फैलती ही है, फेंके गये पॉलीथिन पर लोग फिसल कर जख्मी भी हो जाते हैं. अंकुश नहीं होने की वजह से मंदिर क्षेत्र के दुकानदार भी धड़ल्ले से पॉलीथिन बैग का प्रयोग करते हैं. इन सभी मंदिरों के आसपास नजर दौड़ायें, तो हर जगह कूड़े के ढेर में अधिकतर हिस्सा पॉलीथिन का होता है.
जल्द लेंगे फैसला
मंदिरों में पॉलीथिन के प्रयोग के संबंध में पालनपीठ मां मंगलागौरी मंदिर मैनेजिंग कमेटी के सदस्य प्रमोद गिरि ने कहा कि मंदिर में इस पर बैन जरूरी है. लेकिन, इस संबंध में कभी किसी प्रकार की चर्चा नहीं हुई. उन्होंने कहा, जल्द ही इस मसले पर कमेटी के अधिकारियों से बात की जायेगी. उनके सामने मंदिर में पॉलीथिन को बैन करने का प्रस्ताव रखा जायेगा. दूसरी ओर, बंगला स्थान मंदिर के पुजारी नागेंद्र मिश्र ने कहा कि पॉलीथिन की वजह से मंदिर क्षेत्र में गंदगी फैलती है. लोग इसे जहां-तहां फेंक देते हैं. उन्होंने भी इसे बैन करने पर विचार करने की बात कही.