गया: अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, गया की कई स्तरों पर सुरक्षा को लेकर एयरपोर्ट ऑथोरिटी की बैठक विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ मंगलवार की शाम हो हुई. एयरपोर्ट की बाउंड्री के अंदर व बाहर जो उसी भूमि का हिस्सा है, उससे सटे पेड़ों को काटने की जरूरत है.
बाउंड्री के बाहर के पेड़ों के सहारे बाहरी लड़के व असामाजिक तत्व के अंदर प्रवेश कर नुकसान पहुंचाने की आशंका बनी रहती है. एयरपोर्ट ऑथोरिटी ने वन विभाग के अधिकारी आलोक कुमार से यह जानना चाहा कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से पेड़ों को कटवाने की क्या प्रक्रिया है. मगध प्रमंडल के स्वास्थ्य सेवाएं के क्षेत्रीय उप निदेशक, स्वास्थ्य डा राजेंद्र प्रसाद से उन्होंने जानना चाहा कि पेड़ व झाड़ियों की झुरमुट से सियार व साहिल अचानक निकल आते हैं. इससे कभी रनवे पर दौड़ लगा रहे हवाई जहाज से टकराने व दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है.
साथ ही स्टाफ को भी इन जंगली पशुओं से खतरा बना रहता है. उन्होंने इनके मारने या दूर भगाने के साथ प्रजनन रोकने के बारे में बात की. आरडीडीएच ने बताया कि चूंकि इसका हल उनके विभाग से जुड़ा नहीं है. यह पशु चिकित्सा विभाग से जुड़ा है. पहले से बताया गया होता, तो वह इस विषय पर जानकारी प्राप्त कर बैठक में आते. उन्होंने इसके लिए पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारी से संपर्क साधने की बात बतायी. ऑथोरिटी ने आरडीडीएच को बताया कि इन दिनों मच्छरों का आतंक काफी है. डॉ प्रसाद ने बताया कि आस-पास के सभी गड्ढों को तत्काल भरवा दें. उन गड्ढों में जमा पानी पर मच्छर पलते हैं.
मच्छरों के लार्वा से मच्छर पैदा हो रहे हैं. उसको समाप्त करने के लिए पहले दवा छिड़काव व स्थायी समाधान के लिए गड्ढों को भरवाने पर चर्चा हुई. एयरपोर्ट ऑथोरिटी के अधीनस्थ अधिकारियों से कहा गया कि एयरपोर्ट के आस-पास मांस, मछली की दुकानें हैं, उनके अपशिष्ट फेंके जाने से चील, कौआ व गिद्ध मंडराते रहते हैं. इससे जहाजों के उड़ान भरने व लैंडिग के समय उसे टकराने का खतरा बना रहता है. इन्हें चिह्न्ति करने को कहा गया. इस दौरान सीआइएस व डिफेंस के अधिकारियों से भी सुरक्षा के मुद्दे पर बातचीत की गयी.