गया : स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति बनी. इसके बाद हर जिले में जिला स्वास्थ्य समिति के कार्यालय खोले गये. इसकी जिम्मेवारी जिला प्रोग्राम प्रबंधक (डीपीएम) को सौंपी गयी, ताकि आम आदमी को सुगमता से स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ हो सके. पर, गया के डीपीएम मनीष कुमार खुद आरोपों से घिरे हैं.
उन पर कार्रवाई संबंधी सिर्फ ‘कागजी घोड़े’ दौड़ाये जा रहे हैं. अब तक की कार्रवाई सिफर है. यहां तक कि वेतन भुगतान रोकने व 20 प्रतिशत वेतन कटौती करने का आदेश भी फाइलों तक ही सीमित है. इससे प्रमाणित होता है कि भ्रष्टाचार, स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार किस कदर हावी है. ऐसे में जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था का सहज अनुमान लगाया जा सकता है.
प्रखंड मूल्यांकन व अनुश्रवण सह डाटा इंट्री (बीएम एंड इडी)ऑपरेटर की नियुक्ति में राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा निर्धारित मापदंडों की अवहेलना की गयी. गलत मंशा से मेधा सूची तैयार कर अवैध ढंग से कुछ अभ्यर्थियों को नियुक्त किया गया.
इसकी पुष्टि करते हुए उस समय के जिला पदाधिकारी बाला मुरुगन डी ने अप्रैल, 2014 में नियुक्ति को रद्द कर दी थी. साथ ही, इस मामले में डीपीएम से जवाब तलब करते हुए संविदा निरस्त करने व उन पर दंडात्मक कार्रवाई करने की बात कही थी. पर, अब तक उनके विरुद्ध न कोई कार्रवाई की गयी और न ही बीएम एंड इडी की नियुक्ति ही की गयी.
सिविल सजर्न डॉ अरविंद कुमार ने 31 जुलाई, 2014 को एक पत्र जारी कर डीपीएम से 24 घंटे के अंदर संविदा पर नियुक्त डॉक्टर व कर्मचारियों की सूची मांगी थी. ताकि, पता चल सके कि जिले में कितने डॉक्टर व कर्मचारी संविदा पर कार्यरत हैं. कितने लोगों की संविदा समाप्त हो चुकी है, बावजूद कितने लोग कार्यरत हैं. पर, अब तक सूची उपलब्ध नहीं हो पायी है.
इसी प्रकार 10 सितंबर, 2014 को पत्र जारी कर सीएस ने डीपीएम से दो दिनों के अंदर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व स्वास्थ्य उपकेंद्रों की सूची उपलब्ध कराने को कहा. ताकि, पता चल सके कि वह सरकारी भवन में चल रहा है या किराये के मकान में. पर, वह सूची भी अब तक उपलब्ध नहीं करायी जा सकी है.
विभूति कुमार सर्राफा बनाम राज्य सरकार से संबंधित सीडब्ल्यूजेसी मामले में हाइकोर्ट में शपथ पत्र दाखिल नहीं करने के आरोप में सिविल सजर्न ने 21 अगस्त को डीपीएम का वेतन अगले आदेश तक अवरुद्ध रखने का आदेश जारी किया है, पर अब तक नियमित रूप से उनका वेतन भुगतान जारी है. बंगाली कॉलोनी में फैली अज्ञात बीमारी के दौरान डीएम ने साक्ष्य छिपाने के आरोप में डीपीएम की 20 प्रतिशत वेतन कटौती करने का आदेश दिया था. पर, अब तक इसका भी पालन नहीं किया गया. इधर, पितृपक्ष मेले के दौरान डीएम ने आठ सितंबर को डीपीएम को कॉल सेंटर से ड्यूटी से गायब पाया. इस संबंध में डीपीएम से जवाब तलब भी किया गया था.