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मानव जीवन में यज्ञ एक सर्वश्रेष्ठ कर्म

गया : चंदौती में आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में रविवार को प्रवचन करते हुए वासुदेवाचार्य महाराज ने कहा कि हमारा संपूर्ण जीवन यज्ञमय है. यज्ञ की आहूतियों से प्रदूषण मुक्त बादल जल वृष्टि करते हैं. फलस्वरूप जो अन्न प्राप्त होता है, वह एक-एक ग्रास के रूप में पेट में जाता है. इससे शरीर ही […]

गया : चंदौती में आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में रविवार को प्रवचन करते हुए वासुदेवाचार्य महाराज ने कहा कि हमारा संपूर्ण जीवन यज्ञमय है. यज्ञ की आहूतियों से प्रदूषण मुक्त बादल जल वृष्टि करते हैं. फलस्वरूप जो अन्न प्राप्त होता है, वह एक-एक ग्रास के रूप में पेट में जाता है. इससे शरीर ही यज्ञशाला बन जाता है. जन्म से लेकर विवाह आदि में भी यज्ञ द्वारा ही सारे कार्य संपन्न होते हैं.

मृत्यु के समय भी चिता हवन कुंड और शरीर हवन सामग्री हो जाता है. घी से भीगा एक चावल आठ घन फीट तक के वातावरण को शुद्ध करता है. यह बिल्कुल वैज्ञानिक और प्रामाणिक तथ्य है. यज्ञ में देव पूजा सत्संग आदि में समाज के सभी वर्ग के लोग परिक्रमा करते हैं व प्रवचन में भाग लेकर जीवन को धन्य बनाते हैं.
स्वामी जी ने अपने प्रवचन में पायल कुमारी नामक एक कन्या द्वारा यज्ञ मंडप का लगातार बारह घंटे तक परिक्रमा करने पर अपना विशेष आशीर्वाद दिया. वहीं, साध्वी कृष्ण प्रिया ने कहा कि व्यक्ति महान अपने कर्मों से बनता है. उसके जीवन में किये हुए अच्छे कर्मों द्वारा अर्जित संस्कार ही उसे आगे बढ़ाते हैं और वह हमेशा के लिए शाश्वत और अमर हो जाता है.
मीरा को कोई नहीं भुला सकता, ध्रुव जी को कोई नहीं भुला सकता, प्रह्लाद को कोई नहीं भुला सकता. हालांकि इनके वंश की परंपरा के बारे में कोई न जाने कि इनके माता-पिता, दादा-दादी कौन थे? पर इनके किये हुए कार्य को लोग आज भी जानते हैं और उन्हें अपने जीवन में आदर्श मानकर अपनाते हैं, क्योंकि उनके द्वारा किये गये सतत कर्म ही इनका धर्म था.

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