गया: महिला उत्पीड़न के मामले में बिहार की नीतीश सरकार की संवेदनशील नहीं है. राज्य में छोटी उम्र की बच्चियों समेत महिलाएं अपने को असुरक्षित महसूस करती हैं. आये दिन स्कूली छात्रओं व महिलाओं के साथ छेड़छाड़, र्दुव्यवहार व दुष्कर्म होते रहते हैं. लेकिन, अपराधियों को सजा दिलाना तो दूर, गिरफ्तारी तक नहीं की जा रही. इससे उनके हौसले बढ़ते जा रहे हैं.
ये बातें न्याय संघर्ष यात्रा के दूसरे दिन शुक्रवार को गया पहुंची अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (एपवा) की राष्ट्रीय महासचिव मीना कुमारी ने कहीं. मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि नीतीश का महिला सशक्तीकरण का दावा खोखला साबित हो रहा है. उन्होंने कहा कि गुरुवार को पटना ग्रामीण से न्याय संघर्ष यात्र शुरू कर जहानाबाद होते हुए गया पहुंची हैं.
वह बोधगया के अमवां व परैया के इशरपुर गांव में दुष्कर्म पीड़ित परिवार से मिल कर बातचीत करेंगी और न्याय दिलाने की कोशिश करेंगी. ज्ञातव्य हो कि 12 सितंबर 2012 को इशरपुर में स्कूली छात्रा के साथ दुष्कर्म किया गया था. काफी दबाव के बाद 25 सितंबर को प्राथमिकी दर्ज की गयी, लेकिन गिरफ्तारी नहीं की गयी.
इसके विरोध में 11 अक्तूबर को प्रदर्शन कर रहे भाकपा-माले कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने फायरिंग की. इसमें दुर्गी मांझी नामक कार्यकर्ता घायल हो गये. पीएमसीएच में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी. उन्होंने कहा कि यह केवल गया जिले की बात नहीं है. पटना में महिला को निर्वस्त्र कर पीटा गया, शेखपुरा जेल में महिला कैदी के साथ दुष्कर्म हुआ, औरंगाबाद के देव में महिला को जबरन पेशाब पिलाया गया, जहानाबाद के नौगढ़ में 17 वर्षीय मधु की हत्या कर दी गयी. ये उदाहरण स्वरूप प्रमुख घटनाएं हैं.
इनमें से एक भी मामले में स्पीडी ट्रायल नहीं हो सका है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में दामिनी के साथ दुष्कर्म के बाद जस्टिस वर्मा कमेटी की अनुशंसा पर सख्त कानून तो बनाया गया, लेकिन इसमें पुलिस शिथिलता बरत रही है. महिलाओं को विधानसभा व लोकसभा में भी आरक्षण देने की जरूरत है. इस मौके पर एपवा की राज्य सह सचिव अनीता सिन्हा, राज्य कार्यकारिणी सदस्य मधु, गया जिला सचिव रीता वर्णवाल, भाकपा-माले के जिला सचिव निरंजन कुमार आदि मौजूद थे.