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वट सावित्री व्रत : नहाय-खाय आज

गया: सनातन धर्म में वट सावित्री पूजा का विशेष महत्व है. शुक्रवार को पूजा का नहाय-खाय है. इस दिन व्रती पूजा का संकल्प लेती है. पूजा शनिवार को होगी. वट पूजा के बारे में पुराणों में चर्चा है कि प्रजापति ब्रह्ना जी की तीन पत्नियां थीं-गायत्री, सावित्री व सरस्वती. पुराणों के अनुसार, मद्रास देश के […]

गया: सनातन धर्म में वट सावित्री पूजा का विशेष महत्व है. शुक्रवार को पूजा का नहाय-खाय है. इस दिन व्रती पूजा का संकल्प लेती है. पूजा शनिवार को होगी. वट पूजा के बारे में पुराणों में चर्चा है कि प्रजापति ब्रह्ना जी की तीन पत्नियां थीं-गायत्री, सावित्री व सरस्वती.

पुराणों के अनुसार, मद्रास देश के राजा अश्वपति नि:संतान थे. उन्होंने सावित्री देवी की उपासना की. आचार्य नवीन चंद्र मिश्र वैदिक ने बताया कि उपासना के परिणामस्वरूप एक पुत्री का जन्म हुआ, जिसका नाम उन्होंने सावित्री रखा. जवान होने पर उन्हें स्वयं वर ढ़ूढ़ने का आदेश मिला.

सावित्री ने मंत्रियों के साथ भ्रमण कर शाल्व देश का राजा, जिनका राज्य शत्रुओं ने जीत लिया था, ने द्युमत्सेन के सत्यवक्ता पुत्र सत्यवान को अपना लिया. नारद जी ने सत्यवान को अल्पायु होने की जानकारी दी थी. फिर भी सावित्री-सत्यवान का विवाह संपन्न हो गया. जब अंत समय आया तो उस दिन सत्यवान लकड़ी काटने जंगल जा रहा था, तभी सावित्री भी साथ हो ली थी.

अंतत: यमराज से सामना हुई. यमराज सत्यवान की आत्मा के लिए जा रहे थे, पीछे सावित्री भी चल पड़ी. सावित्री को यमराज ने वर मांगने को कहा. सावित्री ने सास-ससुर को नयन सुख के साथ खोया राज्य प्राप्त, दूसरा पिता का सौ पुत्र हों और तीसरा मेरे भी सौ पुत्र हों. सूर्य पुत्र यमराज द्वारा एवमस्तु कहे जाने पर पुन: सावित्री ने कहा कि मेरे पुत्र कैसे होंगे. पति को तो लिये जा रहे हैं.

अपनी भूल स्वीकार करके यमराज ने सत्यवान की आत्मा लौटा दी, जिससे सत्यवान अल्पायु से दीर्घायु बन गये. सत्यवान, सावित्री व यमराज का मिलन वट वृक्ष के नीचे हुआ था. यही कारण वह पूजनीय हो गया. ऐसे पीपल को विष्णु रूप और वर को शिव रूप प्राप्त है. श्री मिश्र ने बताया कि वट वृक्ष की पूजा कर सौभाग्यवती स्त्री प्रदक्षिणा करती हैं. पंखे से पति को पंखा ङोलती है. उस पंखे को घर में रखने के साथ-साथ ब्रह्ना जी के निमित्त सौभाग्य सामग्री और पंखा दान करना उत्तम है. श्री मिश्र ने कहा कि इस व्रत का पालन अवश्य करना चाहिए.

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