गया : मगध मेडिकल अस्पताल में हाइड्रोसील की जगह पैर का ऑपरेशन करने के मामले में गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट आ गयी है. रिपोर्ट में संदेह पैदा करनेवाली बातें लिखी हैं. जिसकी चर्चाएं अस्पताल में है. कोई डॉक्टर के पक्ष में बोल रहा, तो कोई लापरवाही पर पर्दा डालने की बात कर रहा है.
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जांच कमेटी ने दी डॉक्टर को क्लीन चिट
गया : मगध मेडिकल अस्पताल में हाइड्रोसील की जगह पैर का ऑपरेशन करने के मामले में गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट आ गयी है. रिपोर्ट में संदेह पैदा करनेवाली बातें लिखी हैं. जिसकी चर्चाएं अस्पताल में है. कोई डॉक्टर के पक्ष में बोल रहा, तो कोई लापरवाही पर पर्दा डालने की बात कर रहा है. […]
कहा जा रहा है कि इस मामले में पूरी तरह से डॉक्टरों की टीम ने आरोप को खारिज कर दिया है. रिपोर्ट आने के बाद भी मरीज व उनके परिजन पैर का ऑपरेशन बिना बताये किये जाने की बात पर अड़े हैं. हालांकि, इस मामले में पीड़ित पक्ष ने मगध मेडिकल थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी है. पुलिस स्तर पर जांच के बाद ही मामला साफ हो सकेगा.
अस्पताल में अपनाये जानेवाली प्रक्रिया : अस्पताल में एक जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि अगर कोई मरीज ऑपरेशन के लिए ओपीडी में जांच कराने पहुंचता है, तो ब्लड, शुगर, इएसआर, बीपी आदि की जांच की जाती है.
रिपोर्ट में सबकुछ ठीक होने के बाद ही ऑपरेशन के लिए डॉक्टर डेट देते हैं. और उसका ऑपरेशन किया जाता है. जांच टीम में अधीक्षक व उपाधीक्षक के साथ आर्थो व सर्जरी के डॉक्टर शामिल थे. रिपोर्ट के अनुसार भुुवनेश्वर यादव ने दो अगस्त को जांच के दौरान पैर की तकलीफ नहीं बतायी थी. उसकी ब्लड जांच में डब्ल्यूबीसी काउंट 19100 एमएम, न्यूट्रोफिल काउंट 83.3 प्रतिशत व इएसआर 50 एमएम बताया गया.
ऑपरेशन टेबल पर डॉ एसके रंजन ने जांच के दौरान मरीज के दाहिने पैर में इंड्यूरेशन बिथ एरिथेमा है. पैर में निडिल डाल कर देखने पर उसमें मवाद मिला. इसके बाद डॉ रंजन ने मरीज को बताया कि मवाद रहते हाइड्राेसील का ऑपरेशन संभव नहीं है. इसके बाद ऑपरेशन किया गया. इस बात की पुष्टि वहां मौजूद डॉ आलोक, अनिल सिंह, डॉ नोमान, डॉ संतोष व राजदेव यादव ने अपने बयान में कही. मरीज का आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद है.
पहले समझाया, उसके बाद धमकाया
परिजनों ने बताया कि डॉक्टर ने उन्हें किसी भी तरह की शिकायत नहीं करने के लिए कहा था. लेकिन, वे लोग जब नहीं मानें, तो उन्हें धमकाया गया. इतना ही नहीं अधीक्षक कार्यालय में सारी बातें होती रहीं. लेकिन, अधीक्षक चुपचाप सब कुछ सुनते रहे.
इसके बाद ही परिजनों ने थाने में शिकायत की. इधर, मरीज भुवनेश्वर यादव का कहना है कि उसकी जिंदगी तबाह कर दी है. यहां वे आराम पाने के लिए आये थे. लेकिन, डॉक्टरों ने उन्हें तकलीफ दे दी.
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