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खंगाला जा रहा माओवादिओं का इतिहास

गया: छतीसगढ़ में कांग्रेसी नेताओं पर हुए माओवादी हमले के बाद पुलिस मुख्यालय सचेत है. बिहार में भाकपा-माओवादी की गतिविधि पर अंकुश लगाने और उनकी योजनाओं को ध्वस्त करने के लिए पुलिस अधिकारियों ने चर्चित माओवादी नेताओं का इतिहास खंगालना शुरू कर दिया है. चिह्न्ति माओवादी नेता के गिरफ्तार होने, उनके विरुद्ध चाजर्शीट दाखिल होने […]

गया: छतीसगढ़ में कांग्रेसी नेताओं पर हुए माओवादी हमले के बाद पुलिस मुख्यालय सचेत है. बिहार में भाकपा-माओवादी की गतिविधि पर अंकुश लगाने और उनकी योजनाओं को ध्वस्त करने के लिए पुलिस अधिकारियों ने चर्चित माओवादी नेताओं का इतिहास खंगालना शुरू कर दिया है. चिह्न्ति माओवादी नेता के गिरफ्तार होने, उनके विरुद्ध चाजर्शीट दाखिल होने सहित अन्य जानकारियां जुटायी जा रही हैं.

मुख्यालय ने मांगा ब्योरा
पुलिस सूत्रों के अनुसार, पुलिस मुख्यालय ने एसएसपी गणोश कुमार से जहानाबाद जेल ब्रेक कांड के मुख्य आरोपित अजय कानू के नक्सली इतिहास से संबंधित पूरा ब्योरा एक सप्ताह के अंदर मांगा है.
जहानाबाद जिले के करपी थाने के चौहड़ गांव के रहनेवाले अजय कानू उर्फ रवि का नक्सली इतिहास खंगालने में जिले की सभी थानों की पुलिस जुट गयी है.

इस दौरान अब तक पुलिस को जिले के टनकुप्पा ओपी में दो और खिजरसराय थाने में एक मामले में आरोपित पाया गया है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, चार जून 2006 को टनकुप्पा ओपी पर माओवादियों की टीम ने हमला किया था. इस हमले को लेकर वजीरगंज (टनकुप्पा) थाने में 135/06 दर्ज किया गया. इस मामले में 30 नवंबर 2009 में न्यायालय में माओवादी अजय कानू के विरुद्ध पुलिस द्वारा आरोप पत्र दाखिल किया गया है. दो फरवरी 2007 को वजीरगंज (टनकुप्पा) थाने में 16/07 प्राथमिकी दर्ज की गयी.

इसमें भी माओवादी अजय कानू को आरोपित बनाया गया है. 18 जनवरी 2007 को इनके विरुद्ध खिजरसराय थाने में 4/07 दर्ज किया गया. इसमें माओवादी अजय कानू आरोपित है. इस मामले में पुलिस ने 22 अप्रैल 2012 को न्यायालय में अजय कानू के विरुद्ध चाजर्शीट दाखिल की.

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