गया : निगम कार्यालय में शौचालय बनाने के नाम पर हर स्तर से लापरवाही सामने आ रही है. शुरू में जिम्मेदारी संभालने वाले कर्मचारी ने ही कई लोगों को शौचालय बनाने के एक ही खाते में कई बार पैसा भेज दिया. इस राशि की वापसी अब तक नगर निगम नहीं करा सका है. कई जगह से रिपोर्ट करने के नाम पर अवैध पैसा लेने की बात भी सामने आ चुकी है. यहां तक कि बने हुए शौचालय पर नगर निगम के कर्मचारी ने खुद भी पैसा निकल लिये हैं. इसके अलावा कई जगहों पर पहले से बने शौचालय का भी पैसा निकाला गया है.
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शौचालय निर्माण में हेराफेरी पर मुहर नहीं लगा रहे कुछ पार्षद हर स्तर पर हो रही लापरवाही
गया : निगम कार्यालय में शौचालय बनाने के नाम पर हर स्तर से लापरवाही सामने आ रही है. शुरू में जिम्मेदारी संभालने वाले कर्मचारी ने ही कई लोगों को शौचालय बनाने के एक ही खाते में कई बार पैसा भेज दिया. इस राशि की वापसी अब तक नगर निगम नहीं करा सका है. कई जगह […]
क्या कहती हैं पार्षद
वार्ड नंबर 39 की पार्षद प्रमिला देवी पटवा ने कहा कि वार्ड में शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया है. दो दिनों से यहां निगम के कर्मचारी ओडीएफ के फॉर्म पर दस्तखत कराने पहुंच रहे हैं. कर्मचारी को साफ कह दी हूं कि पहले वार्ड में शौचालय निर्माण का काम पूरा करें, उसके बाद ही किसी कागज का दस्तखत होगा. वार्ड नंबर 47 की पार्षद उषा वर्मा ने बताया कि वार्ड करीब 500 लोगों ने शौचालय का फॉर्म जमा किया था. उनमें से महज 250 लोगों को ही पहली किस्त एक वर्ष पहले दी गयी. दूसरी किस्त अब तक नहीं मिली है. वार्ड नौ की पार्षद सह पूर्व मेयर सोनी कुमारी कहती हैं कि निगम के कर्मचारी वीरेंद्र कुमार व विक्की कुमार ओडीएफ पर दस्तखत कराने पहुंचे थे. साफ मना कर दी हूं. कहीं हूं कि पहले वार्ड में शौचालय निर्माण करायें.
क्योंकि कई लोग एक वर्ष से गड्ढा खुदाई कर रखे हुए हैं और उन्हें अब तक पैसा नहीं दिया गया है. वार्ड तीन की पार्षद लाछो देवी कहती हैं कि शौचालय का पैसा देने के लिए एक वर्ष से लाभुक को दौड़ाया जा रहा है. अब अधिकारी की बारी आयी, तो कह रहे हैं कि जल्द ही पैसा चला जायेगा. कागजात पर दस्तखत कर दें.
यह है ओडीएफ का नियम
ओडीएफ के लिए वार्ड के सभी घरों में व्यक्तिगत शौचालय होना जरूरी है. इसके साथ ही वार्ड के स्कूल, क्लब, सामाजिक संस्था व अन्य सार्वजनिक जगहों के लिए शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए. बाजार व सार्वजनिक जगहों पर यूरिनल होना भी जरूरी है. जिन घरों में शौचालय बनाने की जगह नहीं है, उनके लिए सामुदायिक शौचालय बनाया जाना है. उसके बाद ही किसी वार्ड को ओडीएफ घोषित किया जा सकता है.
यह कहना है मेयर का
शहर के सभी वार्ड ओडीएफ बनाने के लिए कर्मचारियों की संख्या बढ़ायी गयी है. लेकिन, नोडल पदाधिकारी अपनी जिम्मेदारी बखूबी नहीं निभा रहे हैं. शहर अगर ओडीएफ घोषित होगा, तो सरकार से यहां के विकास के लिए कुछ अधिक पैसे भी मिलेंगे. इसके लिए बोर्ड में कई बार निर्देश दिये गये हैं. जल्द ही लापरवाह कर्मचारियों के बारे में निर्णायक फैसला लिया जायेगा.
वीरेंद्र कुमार, मेयर
क्या कहते हैं अधिकारी
सिटी मैनेजर सह नोडल अधिकारी विष्णु प्रभाकर से शौचालय निर्माण की जानकारी मांगी, तो उन्होंने साफ कहा कि इसकी जानकारी उनके पास नहीं है. शौचालय का कितना आवेदन आया है. कितना शौचालय बनाया गया, इसकी जानकारी ऑफिस के बड़ा बाबू ही देंगे. इनके बयान के बाद यह साफ हो जाता है कि अधिकारी अपनी जिम्मेदारी कितनी संजीदगी से निभा रहे हैं. जिनके पास शौचालय विहीन घरों की संख्या और बनाये गये शौचालय की जानकारी नहीं है,
तो उनसे आगे की क्या उम्मीद की जा सकती है. इधर, पिछले दिनों गया पहुंचे नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा ने भी पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कबूल किया था कि यहां शौचालय निर्माण में लापरवाही बरती जा रही है. अधिकारी को सुधार लाने का निर्देश दिया गया है.
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