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शहर में लगायीं नौ हजार लाइटें पर नहीं है रखरखाव की चिंता

स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत पर वर्ष में खर्च होता है करीब एक करोड़ गया : शहर के 53 वार्डों में करीब नौ हजार स्ट्रीट लाइटें लगायी गयी हैं. इनकी मरम्मत किये जाने पर अधिकारियों का कोई खास ध्यान नहीं होता है. वार्ड पार्षद ही अपनी ओर से खराब पड़े लाइटों की सूची देते हैं. उसके […]

स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत पर वर्ष में खर्च होता है करीब एक करोड़

गया : शहर के 53 वार्डों में करीब नौ हजार स्ट्रीट लाइटें लगायी गयी हैं. इनकी मरम्मत किये जाने पर अधिकारियों का कोई खास ध्यान नहीं होता है. वार्ड पार्षद ही अपनी ओर से खराब पड़े लाइटों की सूची देते हैं. उसके बाद भी कई दिनों बाद तक लाइटों की मरम्मत नहीं हो पाती है. निगम सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत पर निगम से ठेकेदार को हर वर्ष करीब एक करोड़ रुपये दिये जाते हैं. शहर में नौ हजार लाइटों के अलावा 89 छोटी हाइ मास्ट व 37 बड़ी हाइ मास्ट लाइटें भी लगायी गयी हैं.
जानकारों का कहना है कि निगम में प्लानिंग के तहत एक बार लाइट नहीं लगाये जाने के कारण ही कई तरह की परेशानियां सामने आती हैं. कई जगहों पर लाइटें दिन में भी जली रहती हैं, तो कही रात में भी नहीं जलतीं. शहर में एक तरह की लाइटें भी नहीं लगायी गयी हैं.
यहां सोडियम, सीएफएल व एलइडी तीन तरह की लाइटें लगायी गयी हैं. सोडियम व सीएफएल लाइटों की मरम्मत के लिए एक व एलइडी लाइटों की मरम्मत करने के लिए दूसरे ठेकेदार को जिम्मेदारी दी गयी है. शहर में लगे हाइ मास्ट लाइटों की मरम्मत करने की जिम्मेदारी निगम खुद ही संभालती है. इसके लिए तीन मिस्त्री व तीन हेल्पर लगाये गये हैं. शहर में कई नये मुहल्ले ऐसे भी जहां अब तक लाइट नहीं लगायी गयी है.
अब लाइट की जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनी के पास : नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा शहर में लाइट की स्थिति दुरुस्त करने के लिए ग्लोबल स्तर पर प्राइवेट कंपनी को जिम्मेदारी दे दी गयी है. कंपनी द्वारा सभी जगहों पर एलइडी लाइटें लगाने की योजना है. इसके साथ ही सभी लाइटों को सीरीज में बिजली सप्लाइ दी जायेगी. सभी का कंट्रोल रूम नगर निगम में बनाया जायेगा. एक ही जगह से पूरे शहर की लाइटें जलाने-बुझाने की व्यवस्था होगी. कंट्रोल रूम से ही यह पता चल जायेगा कहां की लाइटें खराब हैं. कंपनी द्वारा ही रखरखाव की जिम्मेदारी होगी.
अधिकारियों के आवास वाले रोड में भी अंधेरा
शहर में अधिकारियों के आवास वाले रोड में शाम होते ही अंधेरा छा जाता है. गांधी मैदान के पास जयप्रकाश झरना से गेवाल बिगहा जानेवाली रोड में निगम के माध्यम से लगायी गयी लाइटें नहीं जलती हैं. इस रोड में ही प्रमंडलीय आयुक्त, सीआरपीएफ कमांडेंट आदि अधिकारियों के आवास हैं. इसके साथ ही गेवाल बिगहा से सीआरपीएफ कैंप तक में 12, काशी नाथ मोड़ से बस स्टैंड के रास्ते में आठ, काशी नाथ मोड़ से समाहरणालय तक 11 स्ट्रीट लाइटें बंद हैं. जबकि, इस रास्ते से होकर रात में कई बार निगम के अधिकारी गुजरते हैं.
यह कहना है निगम के अधिकारी का
संसाधन की उपलब्धता के अनुसार लाइटों की मरम्मत की जाती है. लाइटों की संख्या अधिक होने के कारण क्रमवार तरीके से ही मरम्मत की जाती है. हाइ मास्ट लाइट मरम्मत निगम के कर्मचारी करते हैं बाकी के लिए टेंडर के माध्यम से ठेकेदार को जिम्मेदारी दे दी गयी है.
विनोद प्रसाद, सहायक अभियंता

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