गया: महादलित टोलों में संचालित उत्थान केंद्रों के टोला स्वयंसेवकों को पूरा विश्वास है कि अब उनके सपने पूरे हो सकते हैं. सम्मानजनक मानदेय के साथ-साथ सेवा नियमित भी की जा सकती है. उनमें यह विश्वास जीतन राम मांझी के मुख्यमंत्री बनने के बाद बढ़ी है.
टोला स्वयंसेवकों की मानें, तो करीब चार साल पहले महादलित समुदाय के छह से 14 वर्ष बच्चों, जो स्कूल से बाहर थे (अनामांकित), को पढ़ाने व स्कूल से जोड़ने के उद्देश्य से प्राय : सभी महादलित टोलों में उत्थान केंद्रों की स्थापना की गयी थी. हर केंद्र पर महादलित समुदाय से ही एक-एक टोला स्वयंसेवक नियुक्त किये गये थे. इनका चयन महज दो हजार रुपये मानदेय पर तीन वर्षो के लिए किया गया था. लेकिन, तत्कालीन अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण मंत्री जीतन राम मांझी (वर्तमान में मुख्यमंत्री) की पहल पर टोला स्वयंसेवकों को अक्षर आंचल योजना से जोड़ दिया गया. साथ ही, मानदेय बढ़ा कर तीन हजार पांच सौ रुपये कर दिया गया. इसके बाद दिसंबर 2013 में पुन: टोला स्वयंसेवकों का मानदेय बढ़ा कर पांच हजार रुपये कर दिया गया. जिले में टोला सेवकों की संख्या 2,356 व पूरे राज्य में 37 हजार से अधिक है. अब जीतन राम मांझी के मुख्यमंत्री बन जाने से टोला स्वयंसेवकों की उम्मीदें बढ़ गयी हैं. अभी नहीं तो कभी नहीं मान कर मुख्यमंत्री के भव्य अभिनंदन की तैयारी में जुटे हैं.
महादलित टोला स्वयंसेवकों के नेता व मानपुर प्रखंड के कार्यक्रम समन्वयक संत कुमार ने बताया कि जिला लोक शिक्षा समिति के कार्यालय परिसर में आयोजित दो दिवसीय टोला स्वयंसेवक उन्मुखीकरण कार्यशाला में तत्कालीन विभागीय मंत्री जीतन राम मांझी ने भरोसा दिलाया था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (अब पूर्व) से उनकी बात हुई है. अब किसी भी टोला स्वयंसेवक को धान रोपने व मजदूरी करने की नौबत नहीं आने दी जायेगी. बेहतर भविष्य के लिए प्रयास किये जा रहे हैं. बहुत जल्द ही खुशखबरी मिलने वाली है. कार्यशाला के छह माह बीत जाने के बाद भी खुशखबरी नहीं आयी. लेकिन, श्री मांझी के मुख्यमंत्री बनने से जल्द ही सपना पूरा होने की उम्मीद है. शिक्षक पद पर समायोजन कर सम्मानजनक मानदेय व उनकी सेवा स्थायी की जा सकती है. उन्होंने 29 मई से आयोजित शिक्षक नियोजन कैंप को तत्काल स्थगित कर प्राथमिकता के आधार पर टोला स्वयंसेवकों को शिक्षक पद पर नियोजन करने की मांग मुख्यमंत्री से की है.
महादलित टोला स्वयंसेवक संघ के मानपुर प्रखंड अध्यक्ष सुरेश राम मांझी का कहना है कि जिला अध्यक्ष लालजीत मांझी की नेतृत्व में नये मुख्यमंत्री के भव्य स्वागत की तैयारी की जा रही है. मुख्यमंत्री का कार्यक्रम मिलते ही सभी टोला स्वयंसेवकों को इसकी सूचना दे दी जायेगी. उन्होंने बताया कि उनकी मुख्य मांग सेवा नियमित करने की है. उन्होंने दावा किया कि तीन-चार सालों से बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं.
शिक्षक पद पर समायोजन कर स्थायी समाधान किया जा सकता है. वर्तमान में छह से 14 साल के बच्चों व 15 से 35 वर्ष की महिलाओं को पढ़ाने समेत स्वयं सहायता समूह के माध्यम से गांव की उत्पीड़ित, उपेक्षित, गरीब, मजदूर व छोटे किसान तबके की महिलाओं को संगठित करने, बुनियादी हक, अत्याचार व भेदभाव के खिलाफ लड़ने, उत्पादन केंद्र विकसित कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने, विभिन्न सरकारी योजनाओं व कार्यक्रमों से अवगत कराने व गांव से देश स्तर तक महिलाओं का नेटवर्क खड़ा करने की जिम्मेवारी उन पर है.