तय मानकों से काफी मरीजों को ओपीडी में देखते हैं जिले 65 डॉक्टर
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हेल्थ परफाॅरमेंस चार्ट में गया सबसे फिसड्डी
तय मानकों से काफी मरीजों को ओपीडी में देखते हैं जिले 65 डॉक्टर नाराज आयुक्त ने स्वास्थ्य अधिकारियों को चेताया गया : हेल्थ परफाॅरमेंस चार्ट में गया का हाल बुरा है. शुक्रवार को मगध प्रमंडल आयुक्त द्वारा बुलायी गयी समीक्षा बैठक में नाकामियों की सारी पोल खुल गयी. आयुक्त जितेंद्र श्रीवास्तव भी काफी नाराज दिखे. […]
नाराज आयुक्त ने स्वास्थ्य अधिकारियों को चेताया
गया : हेल्थ परफाॅरमेंस चार्ट में गया का हाल बुरा है. शुक्रवार को मगध प्रमंडल आयुक्त द्वारा बुलायी गयी समीक्षा बैठक में नाकामियों की सारी पोल खुल गयी. आयुक्त जितेंद्र श्रीवास्तव भी काफी नाराज दिखे. उन्होंने सिविल सर्जन समेत तमाम वरीय पदाधिकारियों को जल्द स्थिति सुधारने की चेतावनी दी. यूं तो यह बैठक प्रमंडल के सभी जिलों की थी, लेकिन गया के खराब प्रदर्शन की वजह से अधिक फोकस इसी जिले पर रहा.
आयुक्त ने ओपीडी में मरीजों को देखने संबंधी जब रिपोर्ट मांगी तो पहली लापरवाही सामने आयी. पता चला कि गया में 65 ऐसे डाॅक्टर हैं जिन्होंने महीने में तय मानक से भी कम मरीजों की जांच ओपीडी में की है. इसके अलावा अरवल में 11, औरंगाबाद में 28,जहानाबाद में 36 व नवादा में 38 ऐसे चिकित्सक हैं, जिन्होंने महीने में 320 मरीज देखने के तय मानक से कम काम किया है. आयुक्त ने इन सभी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए कारण बताओ नोटिस जारी करने का आदेश दिया. समीक्षा के दौरान ही पता चला कि अौरंगाबाद के डाॅ राघवेंद्र नारायण ने एक महीने में 2371 व अरवल में डाॅ अरविंद कुमार पाठक ने 3043 मरीजों को ओपीडी में देखा है. आयुक्त ने कहा कि चिकित्सकों का रोस्टर बना दिया जाये और प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी व जिला स्तरीय चिकित्सा पदाधिकारी भी सप्ताह में कम से कम दो दिन ओपीडी में मरीजों को देखेंगे.
रिप्रेग्नेंसी ट्रैकिंग में भी संतोषजनक नहीं कमजोर नवजात शिशुओं को चिह्नित करने की समीक्षा में भी पाया गया कि गया की स्थिति काफी खराब है. इसके साथ की औरंगाबाद व नवादा भी ऐसे बच्चों को चिह्नित करने में पीछे है. आयुक्त ने इस पर भी असंतोष जताया है. उन्होंने कहा कि यदि कमजोर नवजात शिशुओं को अच्छी तरह से चिह्नित किया जाये तो एक भी बच्चा नहीं मरेगा. हाइ रिस्क प्रेग्नेंसी ट्रैकिंग की समीक्षा में भी गया की स्थिति बहुत खराब है.
काॅर्ड मेंटेन में भी गया पीछे
बैठक के दौरान यह पता चला कि जिले में आंकड़ों की आॅनलाइन एंट्री नहीं हो रही है. इसमें भी गया की स्थिति खराब है. सभी उप स्वास्थ्य केंद्रों पर एएनएम द्वारा रिप्रोडक्टिव चाइल्ड हेल्थ रजिस्टर भरा जाना है. सब हेल्थ सेंटर वार समीक्षा में भी पाया गया कि अब तक सिर्फ 50 प्रतिशत डाटा इंट्री की की गयी है. अायुक्त के पूछे जाने पर पदाधिकारियों ने बताया कि जिले में संजीवनी के डाटा ऑपरेटरों को बीते कई महीनों से वेतन नहीं मिला है. इसलिए वह काम नहीं कर रहे हैं. आयुक्त ने कहा कि वैकल्पिक व्यवस्था कर अगले 15 दिनों में सभी उप स्वास्थ्य केंद्रों का डाटा इंट्री पूरा कर लें.
उन्होंने रिप्रोडक्टिव चाइल्ड हेल्थ रजिस्टर को 95 प्रतिशत तक मेंटेन कर लेने को कहा. बाल सुरक्षा योजना के बैकलाॅक की समीक्षा के दौरान पाया गया कि अरवल में 206,औरंगाबाद में 900,गया में 538,जहानाबाद में 357 व नवादा में 786 लाभुकों को पैसे नहीं मिले हैं. आयुक्त ने कहा कि इस बैकलाॅग को जल्द खत्म किया जाये,नहीं होने पर संबंधित जिले के सिविल सर्जन के खिलाफ कार्रवाई होगी.
पब्लिक फीडबैक भी बहुत खराब
मरीजों के फीडबैक की समीक्षा में गया की स्थिति काफी खराब है. आयुक्त ने इस पर नाराजगी भी जाहिर की है. जिला स्वास्थ्य समिति के जिला परियोजना प्रबंधक से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है.वहीं अरवल जिला परियोजना प्रबंधक का वेतन बंद करने का आदेश जारी कर दिया. आयुक्त ने कहा कि मरीजों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं चलेगी. आयुक्त ने सभी सिविल सर्जन को भी चेतावनी दी कि इस स्थिति में जल्द सुधार लाएं.
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