गया : साहित्यकार व कवि को योगी की तरह अडिग होना चाहिए. कविता हृदयहीनता में रस का संचार करती है. गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन में रविवार को काव्य चक्र के तहत काव्य संध्या में उक्त बातें सम्मेलन के महामंत्री डॉ राधानंद सिंह ने कहीं.
सम्मेलन में डॉ सिंह ने कहा कि साहित्यकारों की लड़ाई धारा के विपरीत होती है. साहित्यकार ही साहित्यिक चेतना का विकास कर मानव मन में सात्विक भाव उत्पन्न कर सकते हैं. काव्य चक्र के तहत सम्मेलन भवन के प्रांगण में हर शनिवार को काव्य संध्या का आयोजन होगा. इसमें हिंदी-उर्दू-मगही के कवि अपनी नयी कविताओं का पाठ कर सकेंगे.
सभापति गोवर्धन प्रसाद सदय ने कहा कि काव्य चक्र के माध्यम से कवियों में सृजनशीलता बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि कवियों को कविता लिखने का अभ्यास जारी रखना चाहिए. कविता लेखन में हृदय पक्ष के साथ बुद्धि भी रहती है. काव्य चक्र को मूल रूप देने में जनकवि सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र व सुमंत की अहम भूमिका रही है. उल्लेखनीय है कि सम्मेलन भवन में संचालित धार्मिक व आध्यात्मिक पुस्तकालय रविवार को छोड़ हर दिन शाम साढ़े पांच बजे से साढ़े सात बजे तक आम पाठकों के लिए खुला रहता है.
काव्य चक्र के तहत रविवार को गोवर्धन प्रसाद सदय, डॉ राम सिंहासन सिंह, खालिक हुसैन परदेसी, सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र, संतोष कुमार क्रांति, डॉ प्रकाश कुमार गुप्त ने अपनी कविताओं का पाठ किया. डॉ प्रकाश ने ‘बाबाओं का गड़बड़झाला’ कविता के माध्यम से बाबाओं पर व्यंग्य किया. संतोष क्रांति ने ‘सुनहरी सुबह’ कविता में स्वर्णिम सवेरा की कल्पना की. खालिक हुसैन परदेसी ने कहा ‘आदमी साहब किरदार भी हो सकता है, एक लम्हा में गुनहगार भी हो सकता है.’ डॉ राम सिंहासन सिंह ने अपनी कविता ‘अवसर दो हम आगे आयें’ पढ़ीं. काव्य संध्या का संचालन सुमंत ने किया.