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अपराधियों की शरणस्थली बनी फल्गु

विष्णुपद बाइपास पुल से लेकर रेलवे पुल तक अपराधी होते हैं मौजूद टोलियों में बंट कर खेलते हैं जुआ, पीते हैं ताड़ी व शराब, फिर बनती वारदात की योजना गया : दिन निकलते ही फल्गु नदी में अपराधियों का जमावड़ा लग जाता है. शहर भर के उचक्के, शातिर चोर, चेन स्नैचर व झपटमारों की टोली […]

विष्णुपद बाइपास पुल से लेकर रेलवे पुल तक अपराधी होते हैं मौजूद

टोलियों में बंट कर खेलते हैं जुआ, पीते हैं ताड़ी व शराब, फिर बनती वारदात की योजना
गया : दिन निकलते ही फल्गु नदी में अपराधियों का जमावड़ा लग जाता है. शहर भर के उचक्के, शातिर चोर, चेन स्नैचर व झपटमारों की टोली फल्गु नदी के बीच बैठी नजर आने लगती है. वह वहां बेफ्रिक होकर जुआ भी खेलते हैं व बेखौफ होकर शराब और ताड़ी भी पीते हैं. इस बीच शहर के विभिन्न इलाके में वारदात को अंजाम देने की योजना बन जाती है. ऐसा नहीं है कि इस बात से संबंधित थाना क्षेत्र के पुलिस अधिकारी वाकिफ नहीं है. बावजूद इसके उन अपराधियों के खिलाफ कोई ठोस योजना नहीं बनायी जा रही है और अपराधी अपनी मस्ती में चूर हैं.
ठंड के मौसम में दिन और गर्मी के दिनों में रात सूत्रों का कहना है कि फल्गुु नदी अपराधियों के लिए कई मायने में मुफीद हैं. ठंड के दिनों में वह दिन भर धूप सेंकते हैं और नशा भी करते हैं. नदी से आने-जाने वाले इक्का दुक्का लोग उस ओर नजर दौड़ाने की हिम्मत भी नहीं जुटाते हैं. वहीं गर्मी के दिनों में अपराधियों के लिए फल्गु नदी सबसे सुरक्षित स्थान साबित होता है. शाम ढलते ही अपराधी नदी किनारे मामूली चादर के साथ किसी इलाके पहुंचते हैं और वहीं नींद लेना शुरू कर देते हैं. यही नहीं कई अपराधी भी अपराध कर नदी में जा कर सो जाते हैं. सुबह पौ फटने से पहले अपने दूसरे ठिकाने चले जाते हैं.
डीएसपी बोले
इधर डीएसपी आलोक सिंह का कहना है कि नदी में हो रहे आपराधिक गतिविधियों को खत्म करने के लिए पिछले दिनों अभियान चलाया गया था. कुछ पकड़े भी गये थे. पुलिस की नजर लगातार उन पर बनी है. आगे भी अपराधियों को पकड़ने के लिए ठोस कार्रवाई की जायेगी.
जुआरियों की जमात
दिन में पुलिस की के नजरों से बचने के लिए फल्गु नदी सुरक्षित पनाहगाह साबित हो रहा है. सीताकुंड से लेकर बहादुर गिरी रेलवे पुल के निकट तक फल्गु नदी में एक से बढ़ कर एक अपराधी शरण लिये होते हैं. कोई जुआ खेलने वाला तो कोई खेलाने वाला होता है. लॉटरी खेलने वालों का आना-जाना नदी में दिन भर लगा रहता है. खास बात यह है कि इस खेल में केवल आसपास के अपराधी ही नहीं बल्कि दूर-दराज के अपराधी शामिल होते हैं. इनका खाना-पीना भी नदी में होता है. अपराधियों के शागिर्द उनके लिए खाना और पानी लेकर आते हैं. शागिर्दों को शाम के वक्त कुछ मेहनताना भी दिया जाता है.
शराबियों की जमघट
सुबह के करीब दस बजे से नशेड़ियों की जमात फल्गु नदी में बैठ जाती है. नदी में हर तरह का नशा करने वाले मौजूद होते हैं. नशे में चूर होने के बाद वे वहीं सो भी जाते हैं. उन्हें नदी में ही शराब और ताड़ी के अलाव अन्य नशे की चीज मिल जाती है या फिर वे खुद से इंतजाम करते हैं. सूत्रों का कहना है कि ताड़ी से लेकर देशी शराब बड़ी आसानी से मिल जाती है. कई लोग विदेशी शराब का भी इंतजाम कर लेते हैं. शराब पीने के बाद कई राज भी खुलते हैं.
यहां बनती हैं चोरी की योजना भी
सूत्रों का कहना है कि शहर में होने वाली हर बड़ी-छोटी चोरी की वारदातों की योजनाएं फल्गु नदी में भी बनती है. कौन सा घर बंद है और कौन सी दुकान का शटर आसानी से तोड़ा जा सकता है. इन सारी सूचनाओं का आदान-प्रदान फल्गु नदी में ही होता है और फिर शाम होते-होते चोरी की योजना बन कर तैयार हो जाती है. यही नहीं चोरी की वारदात को अंजाम देने के बाद चोर भागने के लिए अक्सर नदी का रास्ता ही पकड़ते हैं. चोरी किये सामान का बंटवारा भी नदी में ही होता है. यहां तक कि नदी में चोरी के माल को छिपा भी दिया जाता है.

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