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फिलहाल नहीं टूटेंगे कपिलधारा के घर, हाइकोर्ट ने लगाया स्टे

राहत. अवैध मकानों के मामले में 22 दिसंबर को कोर्ट करेगा सुनवाई अब तक 12 लोगों के तोड़े जा चुके हैं घर गया : हाइकोर्ट के आदेश पर पिछले तीन दिनों से जिला प्रशासन कपिलधारा में 35 मकान (एक नाम से दो मकान मिला कर 36) को तोड़ने की कार्रवाई कर रहा था. हाइकोर्ट के […]

राहत. अवैध मकानों के मामले में 22 दिसंबर को कोर्ट करेगा सुनवाई

अब तक 12 लोगों के तोड़े जा चुके हैं घर
गया : हाइकोर्ट के आदेश पर पिछले तीन दिनों से जिला प्रशासन कपिलधारा में 35 मकान (एक नाम से दो मकान मिला कर 36) को तोड़ने की कार्रवाई कर रहा था. हाइकोर्ट के अधिवक्ता अमरनाथ सिंह ने बताया कि हाइकोर्ट ने कपिलधारा में फिलहाल प्रशासनिक कार्रवाई पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 22 दिसंबर निर्धारित की है. उन्होंने कहा कि कपिलधारा में जमीन कपिलमुनी आश्रम के नाम पर है. 1970-72 में यहां सरकार ने गरीबों को बसने के लिए जगह दी थी. सरकार ने इसके बाद यहां बिजली व पानी कनेक्शन, रोड-नाली का निर्माण करवाया है. एक जनहित याचिका में गांधी मैदान से अतिक्रमण हटाने की बात कही गयी है.
इस मामले में अवमानना परिवाद में जिला प्रशासन को 15 दिसंबर को कोर्ट में पक्ष रखना है. इसी कारण खानापूर्ति कर जिला प्रशासन कोर्ट को अतिक्रमण हटाने की जानकारी दे रहा है. उन्होंने बताया कि कोर्ट ने जिला प्रशासन को 22 दिसंबर को जनहित याचिका में दिये गये फैसले में यहां की सारी जानकारी देने को कहा है. गौरतलब है कि प्रशासन द्वारा यहां मंगलवार व बुधवार को अभियान चलाकर करीब 12 मकानों को तोड़ा भी गया. इसका स्थानीय लोगों ने पुरजोर विरोध किया था. कई जगहों पर प्रदर्शन व रोड जाम भी किये गये थे.
आदेश की कॉपी डीएम को भेजी : एसडीओ विकास कुमार जायसवाल ने बताया कि पटना से अधिवक्ता द्वारा जानकारी दी गयी है कि हाइकोर्ट ने स्टे ऑर्डर दे दिया है. अधिवक्ता ने बताया कि डीएम कार्यालय में इसकी कॉपी भेज दी गयी है.
लोगों ने जतायी खुशी : मुहल्ला बचाओ संघर्ष समिति के नंदलाल पासवान व पार्षद प्रतिनिधि दिलीप कुमार सहित अन्य ने स्टे मिलने पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि मुहल्ला बचाओ संघर्ष समिति ने प्रशासन से सिर्फ एक सप्ताह की मोहलत मांग रही थी. हमारी बात पर ध्यान न देकर प्रशासन ने करीब 12 परिवारों को बेघर कर दिया है. खुले आसमान में ये लोग रहने को मजबूर हैं. इसमें कई लोग बीमार व लाचार भी हैं. इनकी स्थिति की चिंता भी किसी पदाधिकारियों ने नहीं की है.

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