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पांच सीएस व दो एसीएमओ से मांगा गया स्पष्टीकरण

गया : प्रमंडलीय कार्यालय के सभागार में मगध प्रमंडल के पांचों जिलों के स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों के साथ मातृ व शिशु मृत्यु के मुद्दे पर प्रमंडलीय आयुक्त जितेंद्र श्रीवास्तव ने गुरुवार को बैठक की. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, डॉक्टरों व एएनएम के कामकाज पर अंगुली उठाते हुए आयुक्त ने जम कर उनकी क्लास […]

गया : प्रमंडलीय कार्यालय के सभागार में मगध प्रमंडल के पांचों जिलों के स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों के साथ मातृ व शिशु मृत्यु के मुद्दे पर प्रमंडलीय आयुक्त जितेंद्र श्रीवास्तव ने गुरुवार को बैठक की. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, डॉक्टरों व एएनएम के कामकाज पर अंगुली उठाते हुए आयुक्त ने जम कर उनकी क्लास ली. उनके रवैये से क्षुब्ध आयुक्त ने औरंगाबाद के सिविल सर्जन, जहानाबाद व नवादा के एसीएमओ के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी.

स्वास्थ्य विभाग से संबंधित एमडीआर व सीडीआर रिपोर्ट पर सिविल सर्जन द्वारा रुचि नहीं लेने के मामले में गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल व नवादा के सिविल सर्जन से स्पष्टीकरण मांगा है. साथ ही, आयुक्त ने उक्त मामले में पांचों जिलों के डीएम का भी ध्यान आकृष्ट कराने का निर्देश दिया है. आयुक्त ने एक मामले में नवादा जिले की एक एएनएम को निलंबित करने का आदेश दिया है. मातृ शिशु मृत्यु से संबंधित मामले में वजीरगंज के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को वहां से हटा कर शेरघाटी के रामपुर स्थित स्वास्थ्य केंद्र में स्थानांतरण करने का आदेश दिया. साथ ही, आयुक्त ने सभी सिविल सर्जन को आदेश दिया कि एएनएम की लापरवाही व अनुशासनहीनता का मामला सामने आने पर उसे तुरंत निलंबित करें.

गर्व का विषय है डॉक्टर होना : स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को संबोधित करते हुए आयुक्त ने कहा कि एक डॉक्टर होना गर्व का विषय है. डॉक्टर को लोग भगवान का दूसरा रूप मानते हैं. लोग उनके पास काफी उम्मीद के साथ जाते हैं. यदि उनके स्तर से कोई लापरवाही होती है, तो वह अक्षम्य व अपराध है. ऐसे मामलों में डॉक्टरों की गतिविधि उच्च स्तर का विश्वासघात की श्रेणी में आता है. आयुक्त ने कहा कि इलाज में लापरवाही के कारण मातृ-शिशु मृत्यु होने की एक डॉक्टर से उम्मीद नहीं की जा सकती है. इस प्रकार की घटनाओं को सहन नहीं किया जायेगा. आयुक्त ने कहा कि इलाज के दौरान यदि लापरवाही बरती गयी,
तो जवाबदेही तय करते हुए कार्रवाई की जायेगी. इस दौरान आयुक्त ने अप्रैल से सितंबर 2017 तक की अवधि में मातृ व शिशु मृत्यु से संबंधित एक-एक मामले की समीक्षा की. इसमें आयुक्त ने पाया कि मातृ व शिशु मृत्यु के मामलों में रिपोर्टिंग ही नहीं की गयी है. सही रिपोर्टिंग नहीं किये जाने पर आयुक्त ने अधिकारियों के प्रति नाराजगी जतायी और जहानाबाद में मातृ व शिशु मृत्यु से संबंधित सिर्फ दो मामले और नवादा में सिर्फ पांच मामले रिपोर्टिंग करने पर आयुक्त ने दोनों एसीएमओ के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी और उनसे स्पष्टीकरण मांगा. साथ ही, इस बैठक से अनुपस्थित रहनेवाले औरंगाबाद के सिविल सर्जन के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी.
जिला व पीएचसी स्तर पर गठित करें कोषांग : आयुक्त ने जिला व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर मातृ व शिशु मृत्यु समीक्षा कोषांग का गठन करने का आदेश दिया. आयुक्त ने कहा कि जिला स्तर पर गठित होनेवाले कोषांग में सिविल सर्जन, एसीएमओ, डीपीएम व डीआरयू के अतिरिक्त निजी विशेषज्ञ चिकित्सकों को आमंत्रित करें. वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्तर पर गठित किये जानेवाले कोषांग में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, एक अन्य चिकित्सक, बीसीएम व डीआरयू के प्रतिनिधि को रखने का आदेश आयुक्त ने दिया. साथ ही, आयुक्त ने मातृ-शिशु मृत्यु समीक्षा समिति का गठन का भी निर्देश दिया.
एंबुलेंस नहीं है, तो निजी वाहनों का करें प्रयोग : आयुक्त ने सभी सिविल सर्जन को आदेश दिया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एंबुलेंस यदि उपलब्ध नहीं है, तो आपात स्थिति में तत्काल निजी वाहनों से रोगी को बेहतर इलाज के लिए रेफर करें. इस निजी वाहनों के किराये का भुगतान रोगी कल्याण समिति से करने का निर्देश दिया. इस दौरान आयुक्त ने गया की रहनेवाली ललिता देवी के मामले में घरेलू स्तर पर प्रसव के दौरान ग्रामीण चिकित्सक (क्वैक) द्वारा इलाज के क्रम में मृत्यु पर उसके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश सिविल सर्जन को दिया.

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