गया : नगर निगम के चपरासी राजकुमार यादव उर्फ राम बालक यादव के अपहरण मामले का पटाक्षेप हो गया है. रामपुर थाने में दर्ज राजकुमार यादव के अपहरण का मामला झूठा निकला. 13 अप्रैल की सुबह साढ़े सात बजे से अपहृत राजकुमार यादव ने 15 अप्रैल की सुबह 10 बजे अचानक रामपुर थाने में अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर पुलिस पदाधिकारियों को सकते में डाल दिया था.
राजकुमार यादव ने अपहरण की घटना से इनकार किया. लेकिन, अब सवाल है कि आखिर राजकुमार यादव के अपहरण की कहानी रचने के पीछे उनके परिजनों की मंशा क्या थी? कहीं उनकी मंशा किसी व्यक्ति को झूठे केस में फंसाने की तो नहीं थी. इन सभी बिंदुओं पर पुलिस पदाधिकारी जांच कर रहे हैं.
* प्राथमिकी में गाड़ी नंबर देने से पुलिस को है शक : इस कांड की जांच कर रहे रामपुर इंस्पेक्टर गौरी शंकर गुप्ता का कहना है कि राजकुमार यादव के अपहरण की प्राथमिकी बेलागंज थाने के बरैनी-हसनपुर के रहनेवाले कर्मचारी के भांजे पप्पू कुमार ने करायी थी. लेकिन, पप्पू ने प्राथमिकी में एक चारपहिया वाहन का जिक्र किया है. पप्पू के अनुसार, इसी चारपहिया वाहन से राजकुमार यादव का अपहरण किया गया.
अब सवाल है कि पप्पू द्वारा प्राथमिकी में गाड़ी नंबर का किस मकसद से जिक्र किया गया. कहीं उसकी योजना गाड़ी मालिक को फंसाने की तो नहीं थी? इंस्पेक्टर बताते हैं कि इस मामले की सघन जांच की जा रही है. जल्द ही सारा मामला सामने आयेगा.