छठ के प्रसाद को पत्तल और दोना में परोसें
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इस छठ थर्माेकाेल को कहिए ना
छठ के प्रसाद को पत्तल और दोना में परोसें आशीर्वाद के साथ मिलेगी अच्छी सेहत भी गया : सूर्य की उपासना का पर्व छठ मंगलवार से शुरू हो रहा है. दूसरे पर्व के मुकाबले इस पर्व में शुद्धता का महत्व अधिक है. इस पर्व के दौरान कई प्रकार के खान-पान पर लोग स्वत: ही रोक […]
आशीर्वाद के साथ मिलेगी अच्छी सेहत भी
गया : सूर्य की उपासना का पर्व छठ मंगलवार से शुरू हो रहा है. दूसरे पर्व के मुकाबले इस पर्व में शुद्धता का महत्व अधिक है. इस पर्व के दौरान कई प्रकार के खान-पान पर लोग स्वत: ही रोक लगा देते हैं. छठ के मौके पर बनने वाले प्रसाद और उसे जिस पात्र या बर्तन में दिया जाता है, उस मामले में लोग काफी सावधानी बरतते हैं. लेकिन, पिछले कुछ सालों में हम इस पर्व में ऐसे पात्र बर्तन को शामिल कर रहे हैं, जो सेहत के लिए काफी हानिकारक हैं. इस चक्कर में हम उस शुद्ध पात्र को भूलते जा रहे हैं, जो कई प्रकार के गुणों से भरपूर हैं. इतना ही नहीं, वह हमारी सेहत के साथ ही वातावरण के लिए भी काफी फायदेमंद है. हम बात कर रहे हैं पत्तल और थर्माेकाेल की.
पत्तल पर खाना फायदेमंद: पत्तल पर भोजन के अनगिनत फायदे हैं. जिन पत्तों से पत्तल बनते हैं, उनमें अनगिनत औषधीय गुण होते हैं. विशेषज्ञों की मानें, तो पलाश के पत्तल में भोजन करने से सोने के बर्तन में भोजन करने का लाभ मिलता है और केले के पत्तल में भोजन से चांदी के बर्तन में भोजन करेने जैसा लाभ. खून की अशुद्धता की वजह से होने वाली बीमारियों में पलाश के पत्तल पर भोजन को फायदेमंद माना गया है. पाचन तंत्र संबंधी रोगों में भी इस पत्तल पर भोजन की सलाह दी जाती है.
सफेद फूलों वाले पलाश के पत्तों से तैयार पत्तल पर भोजन करने से बवासीर यानी पाइल्स के मरीजों को लाभ होता है. इसी तरह लकवाग्रस्त मरीजों को अमलतास की पत्तियों से तैयार पत्तल में और जोड़ों के दर्द से परेशान मरीजों को करंज की पत्तियों से बनने वाले पत्तल में भोजन की सलाह दी जाती है. पीपल के पत्तल में भोजन मंदबुद्धि बच्चों के इलाज में कारगर साबित होता है.
थर्माेकाेल सेहत का दुश्मन
थर्माेकाेल की अगर बात करें तो यह सेहत का सबसे बड़ा दुश्मन है. प्लास्टिक के मुकाबले थर्माेकाेल को रिसाइकिल नहीं किया जा सकता है. थर्माेकाेल से बने कप, प्लेट व दूसरे उत्पाद आज शहर में हर जगह धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहे हैं. पूजा पाठ से लेकर यह शादी समारोह में अपनी घुसपैठ बना चुका है. एक रिपोर्ट की मानें तो थर्माेकाेल से बने प्लेट व कप में गर्म खाना या पेय पदार्थ का सेवन करना किडनी में स्टोन की संभावना को बढ़ा देता है. डॉक्टरों की मानें तो थर्माेकाेल से बने प्लेट में खाना खाने से स्कीन की समस्याओं के साथ ही गैस की समस्या काफी बढ़ जाती है.
शहर में 50 से अधिक हैं दुकानें
शहर में थर्माेकाेल से बने प्रोडक्ट की छोटी बड़ी 50 से अधिक दुकानें हैं. वहीं, पत्तल व दोना का कारोबार धीरे-धीरे सिमट गया है. पहले पत्तल व दोना शहर के कई इलाकों में बनता था. अब यह सिर्फ मंडी में सिमट कर रह गया है. अब पत्तल व दोनाें आेडीशा से आ रहा है. जिला उद्योग कार्यालय से जुड़े अधिकारी बताते हैं
कि पत्तल और दोना जैसे लघु उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उनके पास कोई स्कीम नहीं है. बाजार में 50 माइक्रोन से बने थर्माेकाेल के उत्पाद ही सरकार के निर्देशानुसार मान्य है. इसकी जांच के लिए नगर निगम को जिम्मेदारी दी गयी है. लेकिन नगर निगम प्रशासन इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं कर सका है.
क्या कहते हैं अधिकारी
थर्माेकाेल सेहत के लिए हानिकारक है. लेकिन, यह तभी जब यह तय मानक से अधिक हो. बाजार में 50 माइक्रोन से नीचे जो भी उत्पाद बिक रहे हैं, वह सरकारी निर्देशानुसार सही नहीं है. इस मामले में नगर निगम प्रशासन को पूरी जवाबदेही दी गयी है. वह समय-समय पर इस दुकानों की जांच कर उचित कार्रवाई कर सकता है.
डॉ नवीन कुमार, साइंटिस्ट, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद
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