गया: लोकतंत्र के महापर्व से जिले के 12 मतदान केंद्रों पर मतदाताओं ने मुंह मोड़ लिये. वोट बहिष्कार करने के पीछे किसी की धमकी-चेतावनी नहीं, बल्कि जन समस्याओं को जन प्रतिनिधियों द्वारा दरकिनार करना बताया गया है.
वोट बहिष्कार करनेवाले लोगों ने साफ शब्दों में कहा कि सिर्फ वोट देने के लिए हमें आजादी नहीं मिली है. सरकार का गठन तो हो जाता है, पर इसके बाद लगातार पांच वर्षो तक कोई भी जनप्रतिनिधि समस्याओं पर ध्यान नहीं देता है. लोगों ने कहीं बिजली, तो कहीं सड़क के निर्माण को लेकर वोट नहीं देने फैसला लिया. अधिकारी लोगों से वोट देने की अपील करते रहे, पर किसी ने उनकी एक नहीं सुनी. गुरुवार को हुए मतदान के दौरान जिले के बोधगया, गुरारू, गुरुआ, कोंच, टिकारी व परैया प्रखंड क्षेत्र के बूथों पर वोट बहिष्कार किये गये. बोधगया प्रखंड मुख्यालय से सटे नेवतापुर गांव के लोगों ने भी चुनाव का बहिष्कार किया. हालांकि, शुरुआत में 13 लोगों ने वोट डाले थे. इसके बाद बहिष्कार का फैसला हुआ. नेवतापुर के चंदन, पंकज व बलिराम आदि ने सवाल किया कि ऐसी स्थिति में वोट देने का मतलब ही क्या है? मतदान के खिलाफ खड़े लोगों का कहना था कि जो शासन-प्रशासन जनता के हक-हित की बात न करे और न समङो, उसकी चिंता जनता करे, यह भी जरूरी नहीं.
नेवतापुर के लोगों को बूथ नंबर 12 पर मतदान करना था. पर, मतदान प्रक्रिया शुरू होने के कुछ देर बाद ही लोग ‘विकास नहीं, तो वोट नहीं’ के नारे लगने लगे. स्थानीय लोगों ने वोट देने से मना कर दिया. इनका कहना था कि ये बोधगया नगर पंचायत क्षेत्र में रहते हैं. महाबोधि मंदिर से दूर भी नहीं. तथापि, इन्हें मौलिक सुविधाएं नहीं मिलतीं. सड़क, पानी, बिजली व अन्य सुविधाओं की स्थिति भी ठीक नहीं है.
कोंच प्रतिनिधि के अनुसार, मतदाताओं ने तीन बूथों पर मतदान का बहिष्कार किया. मौलागंज (बूथ संख्या-सात), अल्पा (बूथ संख्या-72) व दौलतापुर (बूथ संख्या-12) के मतदताओं ने बिजली की आपूर्ति व सड़क निर्माण को लेकर मतदान नहीं करने का फैसला लिया. बीडीओ नृपेंद्र कुमार ने बताया कि वोट बहिष्कार करनेवाले लोगों को समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन वे अपनी मांगों पर अड़े रहे. परैया प्रतिनिधि के अनुसार, विकास के मुद्दे को लेकर पुनाकलां पंचायत के बैगोमन गांव की बूथ संख्या 149 पर गांववालों ने मतदान नहीं किया. इससे पहले बुधवार की रात में एक बैठक कर लोगों ने वोट बहिष्कार का निर्णय लिया था. गुरारू प्रतिनिधि के अनुसार, घटेरा पंचायत के बलिया व डीहा पंचायत के राणापुर गांव के लोगों ने वोट का बहिष्कार किया. बलिया स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय के परिसर में बनाये गये मतदान केंद्र पर पोलिंग पार्टी दिन भर बैठी रही, लेकिन एक भी मतदाता नहीं आया. गांववालों ने मतदान केंद्र के पास वोट बहिष्कार से संबंधित बैनर व जनप्रतिनिधियों का पुतला टांग दिया था. लोगों कहना है कि एक चहका निर्माण को लेकर महीनों से बलिया व मंगरावां गांव के लोगों के बीच विवाद चल रहा है. लेकिन, इस मामले को सुलझाने में किसी जनप्रतिनिधि ने रुचि नहीं दिखायी. इधर, बरमा गांव से तिलोरी तक बनी सड़क को राणापुर गांव तक नहीं बनाने के विरोध में राणापुर के लोगों ने वोट नहीं डाले. बीडीओ रत्ना कुमारी व थानाध्यक्ष अमरदीप कुमार ने वोट बहिष्कार की पुष्टि की. टिकारी प्रतिनिधि के अनुसार, केसपा पंचायत के सरफराज बिगहा के लोगों ने बिजली आपूर्ति व सड़क निर्माण को लेकर वोट नहीं डाले. दूसरी ओर, चकमठ गांव के कई लोगों ने कहा कि उनलोगों ने भी वोट का बहिष्कार किया है. गुरुआ प्रतिनिधि के अनुसार, खैरी व जोगिया के लोगों ने वोट का बहिष्कार किया. इन दोनों बूथों पर मतदान नहीं हुआ. बीडीओ कमला कुमारी ने बताया कि खैरी व जोगिया में वोट का बहिष्कार किया गया है. खैरी में ‘सड़क नहीं, तो वोट नहीं’ का नारा भी बुलंद किया गया. वहीं, जोगिया में मतदानकर्मियों के देर से पहुंचने पर लोगों ने वोट नहीं डाले. इस कारण मतदानकर्मियों को वापस होना पड़ा.
बोधगया संवाददाता के अनुसार, महाबोधि शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के दुकानदारों व उनके कर्मचारियों (स्टाफ) के परिवारवालों ने अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं किया. देखा-देखी उक्त दुकानदारों के पड़ोसियों ने भी मतदान केंद्रों का रुख नहीं किया. जानकारी के अनुसार, बोधगया के बाजार क्षेत्र, पच्छटी, कालचक्र मैदान क्षेत्र, भागलपुर, भगवानपुर व डहरिया बिगहा आदि मुहल्लों में रहनेवाले महाबोधि शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के दुकानदारों व उनके परिजनों ने वोट बहिष्कार किया. विस्थापित दुकानदार राकेश कुमार पप्पू, हसीमुल हक, मोहम्मद नसीम अंसारी, मनोज कुमार, मोहम्मद अयूब अंसारी व शफीकुल हसन उर्फ राजू आदि ने बताया कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य वोट डालने नहीं गया. साथ ही, उनकी दुकान में कार्यरत कर्मचारियों के परिजनों और पड़ोसियों ने भी मतदान नहीं किया. गौरतलब है कि बोधगया में पिछले वर्ष सात जुलाई के बम ब्लास्ट के बाद 25 जुलाई को महाबोधि शॉपिंग कॉम्प्लेक्स को व्यापारियों की मरजी के खिलाफ तोड़ दिया गया था.