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भयमुक्त चुनाव के सामने नक्सली साया

गया: लोकसभा चुनाव-2014 के तहत गया व औरंगाबाद संसदीय क्षेत्रों में आज वोट पड़ेंगे. चुनाव पूर्व नक्सली घटनाओं से दोनों लोकसभा क्षेत्रों में दहशत का माहौल है. प्रशासन दावा कर रहा है कि वह भयमुक्त व शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न करा लेगा. उधर, माओवादियों की योजना बारूदी सुरंग के जरिये पुलिस का ध्यान बंटा कर कोई […]

गया: लोकसभा चुनाव-2014 के तहत गया व औरंगाबाद संसदीय क्षेत्रों में आज वोट पड़ेंगे. चुनाव पूर्व नक्सली घटनाओं से दोनों लोकसभा क्षेत्रों में दहशत का माहौल है. प्रशासन दावा कर रहा है कि वह भयमुक्त व शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न करा लेगा. उधर, माओवादियों की योजना बारूदी सुरंग के जरिये पुलिस का ध्यान बंटा कर कोई और घटना को अंजाम देना लगता है. ऐसे में पुलिस को थोड़ी सी चूक नक्सलियों को वाक ओवर दे सकता है. मौका मिलने पर नक्सली भी बड़ी वारदात करने से पीछे नहीं हटेंगे.

औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र के तहत आनेवाले गया जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र (इमामगंज, गुरुआ व टिकारी) नक्सल प्रभावित हैं. ये क्षेत्र चुनाव के दौरान कई नक्सली घटनाओं के गवाह रहे हैं. टिकारी थाने पर दिनदहाड़े हमला, परैया थाने को फूंकने व थाना प्रभारी समेत कई जवानों को मौत के घाट उतरने की खबर सुर्खियों में रही है. टिकारी के बारा व मेन-बरसिमा नरसंहार ने तो तत्कालीन राज्य सरकार को भी हिला कर रख दिया था. गुरारू व आंती थानों पर भी नक्सली हमले हो चुके हैं. वहीं, कोंच थाने के अदई, अमरा, खैरा व पलाकी आदि गांवों में नरसंहार की घटनाएं हो चुकी हैं.

परैया के इगुनी में नक्सलियों ने पांच लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. इधर, डुमरिया, इमामगंज, बांकेबाजार, कोठी, रोशनगंज, आमस व गुरुआ क्षेत्र भी माओवादियों की दहक से धधकता रहा है. नक्सलियों से मुठभेड़ में कई बार में पुलिस को मात की खानी पड़ी है. पहले के लोकसभा व विधानसभा चुनावों में बारूदी सुरंग विस्फोट व टच स्क्रीन मोबाइल बम के धमाके में पुलिस समेत पत्रकारों के भी घायल होने की खबरें चर्चा में रही हैं. एक पत्रकार को तो एक आंख भी गंवानी पड़ी है. वहीं, बरामद बम को डिफ्यूज करने के दौरान हुए विस्फोट से कई पुलिसकर्मी आहत हो चुके हैं. कुल मिला कर यह पूरा इलाका लाल जोन के रूप में चिह्न्ति है. फिलहाल इमामगंज, डुमरिया, कोठी, बांकेबाजार में घटित नक्सली घटनाओं व पुलिस के चुस्ती के दावे के बाद भी हर रोज बारूदी सुरंग बम के मिलने से मतदाता व प्रत्याशी दोनों कोई रिस्क लेने की स्थिति में नहीं है.

सूत्र बताते हैं कि चुनाव कार्य शुरू होने से पहले आमस के पास पहाड़ी पर नक्सलियों की बड़ी जमघट लगी थी. इसमें आंध्र-प्रदेश के प्रशिक्षित नक्सलियों ने यहां के नक्सलियों को ट्रेनिंग दी. इसमें कंप्यूटर ऑपरेट करने से लेकर नेट व पुलिस फोन को सर्विलांस पर लेने तक की ट्रेनिंग दी गयी. माओवादियों का एक टेक्निकल सेल भी गठित किये जाने की बात चर्चा में है, जो सिर्फ पुलिस की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं. हालांकि पुलिस भी उनके फोन को भी सर्विलांस पर ले रखा है. इससे दीगर यह कि पुलिस का ध्यान जीटी रोड के दक्षिणी इलाके में है.

पुलिस का ध्यान दक्षिणी इलाके में बंटा कर नक्सली गुरुआ, गुरारू, कोंच या परैया के इलाके में किसी बड़ी कार्रवाई करने का तो नहीं है. इस बारे में खुफिया रिपोर्ट भी सरकार को भेजी जा चुकी है कि धोखा देकर नक्सली अपनी योजना में कामयाब हो सकते हैं. औरंगाबाद में सोमवार को बारूदी सुरंग बम विस्फोट करा व इमामगंज, कोठी के क्षेत्र में दो दिनों से बम प्लांट करके लोगों में दहशत फैलाने की हरसंभव कोशिश में वह कामयाब होता दिख रहा है. यूं वरीय पुलिस अधीक्षक निशांत कुमार तिवारी पुलिस बल की तैनाती के बारे में पूरी तरह आश्वस्त दिख रहे हैं और बताया है कि शत-प्रतिशत जिसमें नक्सल प्रभावित बूथों पर अर्धसैनिक बल, सीआरपीएफ के जवान, सीआइएसएफ, सैप व पुलिस पुलिस के जवान तैनात रहेंगे.

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