गया: भाकपा-माओवादी संगठन द्वारा प्रयोग किया जानेवाला बारूदी सुरंग-आइइडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) पुलिस के लिए घातक साबित हो रही है. आइइडी अब पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया है.
माओवादियों ने शुरुआती दौर में बारूदी सुरंगों में केन बम का प्रयोग कर स्कूलों व पुलिस पिकेट की बिल्डिंग को ध्वस्त किया. लेकिन, धीरे-धीरे इसे शक्तिशाली बना कर माओवादियों ने वैसी सड़कों में लगाना शुरू किया, जहां से पुलिस वाहनों का गुजरना होता है. यह हथियार माओवादियों के लिए सबसे उपयुक्त साबित हुई.
अब माओवादियों ने इसे मुख्य हथियार बना लिया है. इन बारूदी सुरंगों की चपेट में आने से सीआरपीएफ, कोबरा व पुलिस बलों के करीब एक दर्जन से अधिक जवान व अधिकारी शहीद हो चुके हैं. पिछले रेकॉर्ड पर नजर डालें तो 17 जनवरी 2011 को सेवरा-छकरबंधा मुख्य पथ से कांबिंग ऑपरेशन के लिए जा रहे सीआरपीएफ जवानों पर माओवादियों ने बारूदी सुरंग से हमला किया था. इसमें सीआरपीएफ जवान संजय भाद्र शहीद हो गये थे. यह बारूदी सुरंग कितना शक्तिशाली था, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बारूदी सुरंग विस्फोट से 16 इंच मोटी पीसीसी रोड टूटी और जवान के लिए जानलेवा साबित हुआ.
22 फरवरी 2012 में बांकेबाजार प्रखंड क्षेत्र में उचला गांव के पास माओवादियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट पर रोशनगंज पुलिस जीप को उड़ा दिया. इसमें हवलदार सहित छह जवान शहीद हुए. जीप में बैठे एक ग्रामीण की भी मौत हो गयी थी. बारूदी सुरंगों से लगातार हमले हो रहे हैं. लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा का चुनाव, कांबिंग ऑपरेशन हो या वरीय नेताओं का दौरा.
हर मौके पर माओवादियों द्वारा बारूदी सुरंगों से हमले हुए हैं. लेकिन, इन बारूदी सुरंगों से कैसे बचा जाये. इसका जवाब अबतक पुलिस नहीं खोज पायी है. आखिर माओवादियों के इस हथियार का मुंहतोड़ जवाब कैसे दिया जाये, इस पर पुलिस के वरीय अधिकारी अब भी मौन हैं. माओवादी संगठन के बारूदी सुरंग बनाने के स्पेशलिस्ट अबतक पुलिस की पकड़ से दूर हैं. हाल के वर्षो से माओवादियों के विरुद्ध लगातार कांबिंग ऑपरेशन चलाया जा रहा है. लेकिन, अबतक एक भी ऐसे माओवादी नहीं पकड़े गये जो बारूदी सुरंग का प्रशिक्षण या उसकी सप्लाइ से जुड़े हो. यह पुलिस की पूरी तरह से नाकामी साबित होती है.