कमतौल : अहल्यास्थान स्थित पवित्र और धार्मिक महत्व वाले अहल्या सरोवर का पानी इतना गंदा है कि स्नान तो दूर इसका पानी छूने लायक नहीं रह गया है. स्थानीय लोग इसे गंदगी का तालाब के नाम से पुकारने लगे हैं. रामनवमी मेला को राजकीय मेला का दर्जा मिलने और यात्री सुविधा में विस्तार होने से जहां लोगों में ख़ुशी देखी गयी, वहीं मेले के अवसर पर भी श्रद्धालुओं के लिए अति महत्वपूर्ण इस तालाब की सफाई नहीं होने से माथे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट दिख रही थी. अहल्या सरोवर के घाट पर बैठे सीतामढ़ी जिला के रामजतन गुप्ता, राम स्वार्थ सिंह जैसे कई श्रद्धालु आपस में बातचीत कर रहे थे.
पूछे जाने पर बताया कि अहल्या स्थान के पवित्र सरोवर में स्नान करने से कुलों का उद्धार होने की मान्यता है, परन्तु पवित्र मानें जाने वाले इस अहल्या सरोवर की स्थिति देखकर स्नान करने की कौन कहे आचमन करने का भी मन नहीं करता. वहीं मधुबनी के अंधराठाढ़ी से आयी कौशल्या देवी, रामरती देवी आदि ने बताया कि पांच-छह वर्ष पहले ऐसी स्थिति नहीं थी. घाट का निर्माण नहीं हुआ था, फिर भी काफी संख्या में श्रद्धालु स्नान करते नजर आये थे. इस वर्ष इक्के-दुक्के श्रद्धालु ही स्नान कर रहे हैं.
स्थानीय बुजुर्ग सहित कई अधेड़ बताते है कि आठ-दस वर्ष पहले अहल्यास्थान में चापाकल की संख्या कम थी. मेले के अवसर पर अधिकांश दुकानदार और श्रद्धालु अहल्या सरोवर का पानी पीने के लिए स्टॉक कर रखते थे. आज लोग यहां का पानी मवेशी को भी पिलाने से परहेज करते हैं.