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मिथिला कला के प्रति उदासीन है समस्तीपुर रेलमंडल

दूसरे मंंडलों की ट्रेन में मिथिला पेेंटिंग की झलक दरभंगा : मिथिला की कला व संस्कृति के प्र्रति समस्तीपुर रेल मंडल प्रशासन का व्यवहार उपेक्षापूर्ण है. यही कारण है कि एक दशक के करीब बीतने के बाद भी मंडल प्रशासन की ओर से प्रमुख गाड़ियों में न तो मिथिला की कला की झलक मिलती है […]

दूसरे मंंडलों की ट्रेन में मिथिला पेेंटिंग की झलक

दरभंगा : मिथिला की कला व संस्कृति के प्र्रति समस्तीपुर रेल मंडल प्रशासन का व्यवहार उपेक्षापूर्ण है. यही कारण है कि एक दशक के करीब बीतने के बाद भी मंडल प्रशासन की ओर से प्रमुख गाड़ियों में न तो मिथिला की कला की झलक मिलती है और न ही स्टेशनों पर ही यह दिखता है. मैथिली में उद्घोषणा की शुरुआत कर प्रशासन ने अपने दायित्व की मानो इतिश्री कर ली है. इससे कला प्रेमियों के बीच रोष है.
देश की उन चुनिंदा 22 भाषाओं में मैथिली शामिल है, जिसे संवैधानिक भाषा का दर्जा प्राप्त है. साहित्यकारों का कहना है कि देश की क्षेत्रीय भाषाओं में इसका इतिहास प्राचीनतम है. अपनी विशिष्ट कला व समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं के कारण विश्वविख्यात है. रेलवे को क्षेत्र की संस्कृ ति व कला का संवाहक माना जाता है. रेलवे के माध्यम से न केवल लोग देश के दूसरे हिस्सों की संस्कृति से रुबरु होते हैं बल्कि रेलवे उस क्षेत्र की कला का प्रसार करता है. इस दृष्टि से समस्तीपुर रेल मंडल का नजरिया उपेक्षापूर्ण दिखता है.
दरभंगा को मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी में रखा गया है, लेकिन दुर्भाग्य है कि यहां से खुलनेवाली किसी भी गाड़ी में स्थानीय कला की झलक नहीं मिलती. आलम यह है कि पूर्व र्डीआरएम वीके वहमनी के सतप्रयास से जंकशन के बाहर मिथिला पेंटिंग के लगे दो बड़े बोर्ड स्थान परिवर्त्तन कर प्लेटफार्म एक पर आने के बाद मिट गये. मिथिलाक्षर मेें जगह जगह लिखे जंकशन के नाम भी समाप्त हो गये. एक कोने में तिरहुता लिपि का बोर्ड लटका हुआ है.
समस्तीपुर रेल मंडल ने अपनी ट्रेनों पर भी मिथिलाक्षर में बोर्ड नहीं लटकाया है. वहीं सोनपुर मंडल प्रशासन की संजीदगी सराहनीय है. इसको लेकर पिछले 16 फरवरी को उपभोक्ता कल्याण संघने रेलमंत्री सुरेश प्रभु को ट्वीटर पर लंबी दूरी की ट्रेनों के नामपट्ट मिथिलाक्षर में करने तथा इसपर मिथिला पेंटिंग उकेरने का अनुरोध किया.
मिनिस्ट्री ऑफ रेलवे ने उसी दिन समस्तीपुर के डीआरएम को इस सुझाव पर कार्रवाई करने को कहा. अगले दिन डीआरएम सुधांशु शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए संघ को सुझाव नोट करने की बात कही. इसके बाद धरातल पर अभी तक कोई पहल नहीं हो सकी है. संघ के साथ ही लोगों को अब मंडल प्रशासन की पहल का इंतजार है.

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