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कैंपस- अतक्रिमणकारियों के चंगुल से मुक्त हुआ एमएलएसएम कॉलेज

कैंपस- अतिक्रमणकारियों के चंगुल से मुक्त हुआ एमएलएसएम कॉलेज अतिक्रमण की संभावित जगह पर महिला होस्टल की पड़ी नींवतीन दशकों से था अतिक्रमणकारियों के चंगुल में कॉलेज परिसरफोटो. 29 व 30परिचय. महाविद्यालय में चल रहा छात्रावास निर्माण कार्य व प्रधानाचार्य डा. डीसी चौधरी. दरभंगा. एमएलएसएम कॉलेज दरभंगा के वर्त्तमान प्रधानाचार्य डा. देवचंद्र चौधरी ने अपने […]

कैंपस- अतिक्रमणकारियों के चंगुल से मुक्त हुआ एमएलएसएम कॉलेज अतिक्रमण की संभावित जगह पर महिला होस्टल की पड़ी नींवतीन दशकों से था अतिक्रमणकारियों के चंगुल में कॉलेज परिसरफोटो. 29 व 30परिचय. महाविद्यालय में चल रहा छात्रावास निर्माण कार्य व प्रधानाचार्य डा. डीसी चौधरी. दरभंगा. एमएलएसएम कॉलेज दरभंगा के वर्त्तमान प्रधानाचार्य डा. देवचंद्र चौधरी ने अपने व्यक्तिगत प्रभाव से इस कॉलेज की जमीन को हड़पने वाले अतिक्रमणकारियों के मंसूबे पर विराम लगा दिया है. आगे की संभावना को जड़-मूल से नष्ट करने के दूरगामी सोच को प्रदर्शित करते हुए प्रधानाचार्य डा. चौधरी ने परिसर की खाली जगहों पर चार मंजिला महिला छात्रावास के निर्माण की नींव डाल दी है, जो प्रगति पर है. इसका निर्माण कार्य डीपीसी तक पूरा कर लिया गया है. आगे का काम भी चल रहा है. अच्छी पढ़ाई और सुदृढ़ प्रशासनिक व्यवस्था के साथ-साथ शहर के मुख्य सुविधाजनक स्थान पर उक्त कॉलेज के होने के कारण इसमें छात्राओं की संख्या आनुपातिक आधार पर अन्य कॉलेजों की तुलना में अधिक है. इसको लेकर प्रधानाचार्य ने छात्राआें की सुविधा को देखते हुए प्राथमिकता के आधार पर महिला छात्रावास के निर्माण मेें रुचि दिखायी. हालांकि छात्रावास का निर्माण करवाने का प्रस्ताव यूजीसी एवं राज्य सरकार को भेजने की प्रक्रिया अंतिम चरण मेें है. उम्मीद है कि यूजीसी या राज्य सरकार से इसकी स्वीकृति जल्द ही मिल जायेगी. तत्काल इस छात्रावास का निर्माण कार्य कॉलेज के आंतरिक स्रोत मद में जमा रकम से की जा रही है. उसी रकम से पूरे परिसर में मिट्टी भराई तथा अतिक्रमित किये जाने की संभावना वाली जगहों पर कॉलेज के उपयोग के लायक छात्रों व शिक्षाकर्मियों की सुविधा को देखते हुए स्थायी रूप से निर्माण कार्य शुरू करवा दिया गया है. पिछले इतिहास को ध्यान में रखते हुए प्रधानाचार्य का उठाया गया यह साहसिक कदम छात्रों एवं शिक्षाकर्मियों के बीच मिशाल के रूप में याद किया जायेगा. बता दें कि शहर के मुख्य जगह पर कॉलेज होने के कारण अधिकांश प्रभावशाली अतिक्रमणकारियों की नजर इसकी कीमती जमीन पर टिकी थी. सूत्रों की मानें तो बीते तीन दशकों में इस कॉलेज के कई प्रधानाचार्यों को कॉलेज की जमीन को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें नजराना भी देना पड़ा था. बावजूद इसके उन प्रभावशाली अतिक्रमणकारियों से कॉलेज परिसर की जमीन को सुरक्षित करवा पाने में सफलता हाथ नहीं लगी. इसको लेकर वर्त्तमान प्रधानाचार्य को उन अतिक्रमणकारियों के आंखों का किरकिरी भी बनना पड़ा. इतना ही नहीं 27 अगस्त 2015 को हरवेझ्रहथियार से लैस अतिक्रमणकारियों का जत्था प्रधानाचार्य को पिस्तौल के बल पर भूमि अतिक्रमित करने के लिए कॉलेज की सीमा के पूर्वी भाग से 19 फीट एवं उत्तरी भाग से 20 फीट दीवार तोड़कर अंदर अतिक्रमण करने का असफल प्रयास किया था, लेकिन पुलिस के पहुंचने पर प्रधानाचार्य की जान भी बची तथा कॉलेज की संपत्ति भी बचायी जा सकी. इस मामले मेंं अतिक्रमणकारियों पर प्रधानाचार्य के आवेदन पर विवि थाना में कांड संख्या 222/15 के तहत मामला भी दर्ज कराया गया. उसी दिन लनामिवि कुलपति प्रो. साकेत कुशवाहा ने भी घटनास्थल का निरीक्षण कर आवश्यक निर्देश दिया था. इन सारी बातों की पुष्टि करते हुए प्रधानाचार्य डा. चौधरी ने कहा कि जिनके खिलाफ मामला दर्ज है वह अभी तक छुट्टा घूम रहा है. उम्मीद है कि उनपर जल्द ही विधि सम्मत कार्रवाई होगी.

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