दरभंगा : मिथिला-मैथिली के हितचिंतक के रूप में राजग शुरू से रही है. इसने मिथिला के विकास व संस्कृति के संरक्षण-संवर्धन में कई ऐतिहासिक कार्य किये. इसका ऋण मिथिलावासियों पर है. यह चुनाव इस कर्ज को उतारने का एक अवसर है. इसे कोई भी मिथिलावासी हाथ से न जाने दें.
कर्ज उतार लें. यह बात रविवार को साहित्यिक-सामाजिक मंच आस्था के तत्वावधान में एमएमटीएम कॉलेज परिसर में चुनावी विमर्श ऋणोद्धार सभा में वक्ताओं ने कही. अध्यक्षता करते हुए मैथिली पुत्र प्रदीप ने कहा कि मिथिला की धरती पर जन्मे सभी जानकी की भूमि के हैं. डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने अष्ट्म अनुसूची में मैथिली को स्थान देनेवाली भाजपा सरकार के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की. समीक्षक डॉ फुलचंद्र मिश्र रमण ने कहा कि धार्मिक आरक्षण की बात करनेवाले एनडीए को आखिर किस आधार पर सांप्रदायिक कह रहे हैं,
जब एक सड़क बनने को लोग ऋण मांगते हैं तो मिथिलवासियों पर तो एनडीए के कई कर्ज हैं. इसे सभी मिलकर उतारें. संचालन करते हुए प्रो शिवाकांत पाठक ने जनसंघ काल से भाजपा की इस क्षेत्र के प्रति रही विशेष सहानुभूति का उल्लेख किया. सभा में डॉ विद्याधर मिश्र, महेंद्र साह, नारायण मिश्र, मुरलीधर झा, डॉ जगत नारायण नायक, शशिकांत दत्त, जितेंद्र नारायण राय, राघवेंद्र झा, जीवकांत मिश्र, विनोद कुमार झा, संतोष झा आदि ने सम्पूर्ण मिथिलावासियों से इस ऋण से उऋण होने के लिए आह्वान किया.
मौके पर इसी भाव भूमि पर आधारित हरिश्चंद्र हरित ने अपनी कविता प्रस्तुत की जिसे खूब सराहना मिली. मौके पर शैलेंद्र यादव, अजय कुमार यादव, अखिलेश कुमार,अजय कुमार मिश्र, पवन कुमार मिश्र, विकास कुमार सहित दर्जनों की संख्या में मिथिला-मैथिली प्रेमी मौजूद थे.