बहादुरपुर : लगातार दो-तीन वर्षों से सुखाड़ को देखते हुए कृषि विभाग ने सघन बागवानी पर जोर दिया है. जिले के किसानों ने आम, पपीता के बाद अब केले का भी उत्पादन कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं.
इसके लिए पहली बार जिला को टिशू कल्चर केले की खेती कराने का लक्ष्य निर्धारित की गयी है. अब जिले के किसान एवं आम आदमी को हाजीपुर या अन्य जगहों से आने वाले केले पर पूर्ण रूप से निर्भर रहने की समस्या से बहुत हद तक निजात मिलेगी.
इसके लिए विभाग ने टिशू कल्चर पौधे की पहल शुरू कर दिया है. 21 हेक्टेयर में होगी खेती मौसम अनुकूल रहा तो इस वर्ष जिले के 21 हेक्टेयर भूमि में टिशू कल्चर केले की खेती की जायेगी.
कृषि विभाग के जिला उद्योग विभाग को जिले का लक्ष्य उपलब्ध करा दिया है. इसके तहत सामान्य के साथ-साथ अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के कृषकों के बीच पौधा उपलब्ध कराया जायेगा.
अक्टूबर तक की जा सकती है रोपनी विभाग की मानें तो सितंबर से अक्टूबर माह तक टिशू कल्चर केले की रोपनी की जा सकती है. बीज प्रमाणन निरीक्षक शत्रुघ्न साह के अनुसार टिशू कल्चर केा किसानों के लिए वरदान साबित होगा. इसमें कीट-व्याधि का प्रकोप बहुत ही कम होता है.
इसके लिए रोपनी के समय अंतिम जुताई के दौरान फोलीडॉल पाउडर दवा 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दरसे छिड़ककर करें, ताकि कीट व्याधि व अन्य रोगों से बचाया जा सकता है.
टिशू कल्चर पौधा जल्द ही तैयार हो जाता है. कम लागत में ज्यादा मुनाफा किया जा सकता है. मिलेगा अनुदान टिशू कल्चर खेती के लिए किसानों को जिला उद्यान कार्यलय से अनुदान की जायेगी.
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले के 18 प्रखंडों के किसानों को प्रति एकड़ खेती के लिए 1200 उन्नत किस्म के पौधे मिलेंगे. इसके रख-रखाव के लिए अनुदान भी दिया जायेगा. प्रति एकड़ 25 हजार रुपये किसानों को अनुदान के रूप में दी जायेगी. इसके लिए टिशू कल्चर केले के पौधों का वितरण प्रारंभ कर दिया गया है.
कहते हैं अधिकारी जिला उद्यान पदाधिकारी उपेंद्र कुमार ने बताया कि टिशू कल्चर खेती से किसानों को काफी फायदा होगा. उन्होंने कहा कि फिलहाल कृषि फार्म स्थित पॉली हाउस में 40 हजार टिशू कल्चर केले का पौधा उपलब्ध है, जिसमें अभी तक 20 हजार पौधों का वितरण भी कर दिया गया है. श्री कुमार ने किसानों से अपील किया है कि केला की खेती कर अच्छी आमदनी कर सकते हैं.