हर कवि की रचनाओं में विशिष्टता की छाप काव्य संग्रह ‘दूर्वा’ का लोकार्पणफोटो- 13 व 14परिचय- दूर्वा का लोकार्पण करते अतिथि व समालोचक डा. गंगा प्रसाद विमल व अन्य एवं उपस्थित लोग.दरभंगा. हर कवि अपनी रचनाआें में कुछ विशिष्टता की छाप छोड़ते हैं. चाहे वे रामधारी सिंह दिनकर हो या शिव मंगल सिंह सुमन. कविता से अपेक्षा की जाती है कि वह भूले नहीं. मिथिला में ऐसी अद्भुत विशिष्टता का प्रयोग हरिमोहन झा ने किया था. वैसी अनुभूति प्रो. अजीत कुमार वर्मा की रचनाओं में मिलती है. शिखा सहित्य संस्कृति मंच के तत्वावधान में प्रो. अजीत कुमार वर्मा के काव्य संग्रह ‘दूर्वा’ के लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि सह हिंदी साहित्य के प्रखर समालोचक डा. गंगा प्रसाद विमल ने उक्त बातें कही. ‘दूर्वा’ काव्य संग्रह के रचयिता कवि प्रो. वर्मा ने कहा कि कविता मेरा सृजन का धर्म है. उन्होंने कहा कि यह कविता उस सर्वहारा को समर्पित है, क्योंकि धूप और सर्वहारा की यही शक्ति है. ज्ञात हो कि प्रो. वर्मा की पहली रचना ‘शब्दमौन है’ है. अध्यक्षीय संबोधन में पीजी हिंदी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. प्रभाकर पाठक ने कहा कि प्रो. वर्मा ने इस सूखेपन में भी आस्था की तलाश की है. उन्होंने इस रचना को अमरत्व से विभूषित करते हुए कहा कि कवि ने स्वांत: सुखाय इसकी रचना की है. इस मौके पर डा. गणपति मिश्र, प्रो. चंद्रभानु सिंह, डा. नरेंद्र ने विचार व्यक्त किये. एमएमटीएम कॉलेज के सभागार में इस मौके पर शहर के प्रबुद्धजन उपस्थित थे. समारोह का संचालन डा. सतीश कुमार सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. श्याम भास्कर ने किया.
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हर कवि की रचनाओं में विशष्टिता की छाप
हर कवि की रचनाओं में विशिष्टता की छाप काव्य संग्रह ‘दूर्वा’ का लोकार्पणफोटो- 13 व 14परिचय- दूर्वा का लोकार्पण करते अतिथि व समालोचक डा. गंगा प्रसाद विमल व अन्य एवं उपस्थित लोग.दरभंगा. हर कवि अपनी रचनाआें में कुछ विशिष्टता की छाप छोड़ते हैं. चाहे वे रामधारी सिंह दिनकर हो या शिव मंगल सिंह सुमन. कविता […]
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