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रचना में कवि-साहित्यकार के व्यक्तित्व की मिलती झलक

दरभंगा : कवि साहित्यकार का व्यक्तित्व उनकी रचना में विद्यमान रहता है. उसका प्रभाव छलकता है. लोकार्पित मैथिली काव्य संग्रह ‘हमहूं कविता लीखि लैत छी’ में रचनाकार डॉ गणपति मिश्र का व्यक्तित्व स्पष्ट दिखता है. यह बात साहित्य अकादमी में मैथिली के प्रतिनिधि डॉ वीणा ठाकुर ने कही. लक्ष्मीश्वर पब्लिक लाइब्रेरी परिसर में साहित्य मंदिर […]

दरभंगा : कवि साहित्यकार का व्यक्तित्व उनकी रचना में विद्यमान रहता है. उसका प्रभाव छलकता है. लोकार्पित मैथिली काव्य संग्रह ‘हमहूं कविता लीखि लैत छी’ में रचनाकार डॉ गणपति मिश्र का व्यक्तित्व स्पष्ट दिखता है.
यह बात साहित्य अकादमी में मैथिली के प्रतिनिधि डॉ वीणा ठाकुर ने कही. लक्ष्मीश्वर पब्लिक लाइब्रेरी परिसर में साहित्य मंदिर की ओर से आयोजित डॉ मिश्र रचित काव्य संगह के विमोचन समारोह में वे रविवार को बतौर विशिष्ठ अतिथि बोल रही थीं.
उन्होंने डॉ मिश्र के 75वें जन्मदिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में कहा कि चिकित्सक को ईश्वर का दूसरा रूप माना जाता है. मौके पर विमोचन करते हुए मैथिली के वयोवृद्ध साहित्यकार पंडित चंद्रनाथ मिश्र अमर ने कहा कि छंदोबद्धता व गति कविता की जान होती है. लोकार्पित पुस्तक में यह गुण विद्यमान है. आज कविता से तरलता समाप्त किया जा रहा है. इससे इसका आकर्षण समाप्त हो जायेगा.
समारोह में मैथिली के मूर्धन्य विद्वान प्रो रामदेव झा ने कहा कि चिकित्सक डॉ मिश्र ने समाज की हृदयगति एक साहित्यिक आले से लगाकर पढ़ा है. अपनी रचना से कवि साहित्यकार पुनजर्न्म को प्राप्त करते हैं. डॉ मिश्र ने यह हासिल किया है. हिंदी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो अजित कुमार वर्मा ने इसे साहित्यिक व पारिवारिक वातावरण का परिणाम बताया. अध्यक्षता करते हुए डॉ भीमनाथ झा ने मिथिला मिहिर में विभिन्न रोगों पर प्रकाशित डॉ मिश्र के आलेख के प्रकाशन के साथ उपन्यास लेखन का आग्रह किया. 56 कविताओं वाली इस पुस्तक में तीन खंडों में रचनाएं हैं.
खंड ‘क’ में कवि की रचना है तो ‘ख’ में विभिन्न रोगों पर इनकी कविता है. खंड ‘ग’ में सुमित्रनंदन पंत रचित कविता ताज व रामधारी सिंह दिनकर लिखित मिथिला शीर्षक कविता का अनुवाद है. भावभूमि शीर्षक से पंचानन मिश्र ने भूमिका लिखी है वहीं शुभासंशा श्री अमर की है. आत्मकथा में डॉ मिश्र ने कवि और कविता पर अपना मौलिक चिंतन रखा है. उन्होंने अपनी चाचा शंकर मिश्र को प्रेरणास्त्रोत बताया.
स्वागत भाषण साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त आशा मिश्र ने किया. इस अवसर पर अर्चना मिश्र, तूलिका मिश्र ने भी विचार रखे. समारोह में डॉ रमाकांत मिश्र, डॉ रूपनारायण चौधरी, शिवाकांत पाठक, डॉ धीरेंद्रनाथ मिश्र, डॉ बौआनंद झा, कमला कांत झा, अनिल कुमार मिश्र, दिलीप कुमार, अमरनाथ मिश्र सहित दर्जनों साहित्य प्रेमी मौजूद थे.

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