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कर्म प्रधान है मानव जीवन

/रफोटो – फारबर्ड बेनीपुर. मनुष्य का जीवन कर्म प्रधान है, वहीं देवताओं का जीवन भाग प्रधान. उक्त बातें बेनीपुर स्थित सत्संग मंदिर आयोजित संतमत सत्संग कार्यक्रम में सत्संगियों को संबोधित करते हुए भागलपुर कूप्पाघाट मेंही आश्रम के संत कमला नंदजी महाराज ने कहा. उन्होंने कहा कि मानव जीवन में जो जैसा कर्म करता है, तदनुसार […]

/रफोटो – फारबर्ड बेनीपुर. मनुष्य का जीवन कर्म प्रधान है, वहीं देवताओं का जीवन भाग प्रधान. उक्त बातें बेनीपुर स्थित सत्संग मंदिर आयोजित संतमत सत्संग कार्यक्रम में सत्संगियों को संबोधित करते हुए भागलपुर कूप्पाघाट मेंही आश्रम के संत कमला नंदजी महाराज ने कहा. उन्होंने कहा कि मानव जीवन में जो जैसा कर्म करता है, तदनुसार सुख दु:ख का भोग भोगता है. प्रत्येक धर्म में कर्म के विषय में विचार किया गया है. महर्षि मेंही परमहंस बताते हैं कि कर्म से धर्म बनता है. कोई प्राणी बिना कर्म किये नहीं रह सकता है. उन्होंने गीता शास्त्र के अनुसार कर्मों की व्याख्या की. कमलानुद का कहना है कि प्रत्येक धर्म और अधर्म की अवधारणा है, अच्छे कर्म करने वाले स्वर्ग और बुरे कर्म करने वाले नरकामी होते हें. स्वर्ग सुख का प्रतीक है और नरक दु:ख का प्रतीक है. इसलिए सभी धर्मों शास्त्र में निर्देश है कि मनुष्य से उच्चतर देव बनने के लिए ईश्वर की उपासना करनी चाहिए.

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