दरभंगा : डीएमसीएच के शिशु रोग विभाग में तीन सितंबर और गायनिक वार्ड में चार सितंबर को मरीजों की मौत के बाद हुये हंगामा के अलावा पांच सितंबर को जूनियर डॉक्टरों द्वारा डीएमसीएच अधीक्षक डॉ. संतोष कुमार मिश्र की पिटाई के बाद सुरक्षा गार्ड की बहाली में फर्जीबाड़ा का मामला उठा था. बताया गया था कि जब डीएमसीएच में एक सौ से अधिक सुरक्षा गार्ड ड्यूटी पर हैं तो वे क्यों नहीं हंगामा रोक पाते हैं.
आखिर सुरक्षा को लेकर लाखों रुपये महीने खर्च करने के बाद डीएमसीएच की सुरक्षा में कैसे सेंध लग जाता है. मामला सामने आने पर डीएम व एसएसपी के आदेश पर पांच सितंबर को सदर एसडीओ डॉ. गजेन्द्र प्रसाद सिंह व एएसपी दिलनवाज अहमद ने सुरक्षा गार्ड का पैरेड कराया. पैरेड में महज 45 सुरक्षा गार्ड ही पाये गये. पैरेड कराने के बाद एसडीओ व एएसपी ने अपना रिपोर्ट डीएम को सौंप दिया. सुरक्षा गार्ड की बहाली में प्रथम दृष्टया गड़बड़झाला देखते हुये डीएम ने तत्काल तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर दिया.
वहीं आठ सितंबर को इस बावत प्रधान सचिव को प्रतिवेदन भेजकर अपने स्तर से उच्च स्तरीय जांच कमेटी से मामले की जांच करने को कहा. बता दें कि डीएम के प्रतिवेदन को गंभीरता से लेते हुये प्रधान सचिव के निर्देश पर नौ सितंबर को डायरेक्टर इन चीफ डॉ. आरडी रंजन के नेतृत्व में छह सदस्यीय टीम डीएमसीएच पहुंची. शनिवार को जब पटना से टीम आयी तो काफी प्रयास के बाद आउटसोर्सिंग एजेंसी टीम के सामने महज 72 सुरक्षा गार्ड को पैरेड करा सका. बता दें कि आउटसोर्सिंग एजेंसी उच्च स्तरीय टीम के भी आंख में धूल झोंकने का प्रयास किया. जानकारी के अनुसार पटना से आयी टीम के सामने भी एक दर्जन नये लोगों को वर्दी पहनाकर सामने किया था. इधर डीएम द्वारा गठित टीम जब आज पहुंची तो आउटसोर्सिंग एजेंसी संख्या पुराने में पूरी ताकत झोंक दी.
104 सुरक्षा गार्ड की बहाली का जवाब नहीं है अस्पताल प्रशासन के पास : डीएमसीएच में 104 सुरक्षा गार्ड की बहाली कैसे हो गयी इसका जवाब आज तक अस्पताल प्रशासन के पास नहीं है. बता दें कि वर्ष 2006 में 60 सुरक्षा गार्ड की बहाली की गयी थी. जरूरत के हिसाब से नियम के तहत वर्ष 2008 में तीस और सुरक्षा गार्ड की बहाली की गयी. लेकिन अब यहां 104 गार्ड ड्यूटी कर रहे हैं़
और इन सबों को वेतन का भुगतान होता है.