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धूप में खड़े होकर करते हैं ट्रेन का इंतजार

असुविधा. बी ग्रेड वाले बगहा रेलवे स्टेशन पर नहीं हैं यात्रियों के लिए सुविधाएं बगहा : स्थानीय रेलवे स्टेशन को सालाना लगभग 9 करोड़ रुपये से अधिक की आय होती है. बावजूद इसके रेलवे स्टेशन पर न तो यात्रियों के लिए पर्याप्त बेंच है न ही पीने के लिए पानी की सुविधा. आमान परिवर्तन के […]

असुविधा. बी ग्रेड वाले बगहा रेलवे स्टेशन पर नहीं हैं यात्रियों के लिए सुविधाएं

बगहा : स्थानीय रेलवे स्टेशन को सालाना लगभग 9 करोड़ रुपये से अधिक की आय होती है. बावजूद इसके रेलवे स्टेशन पर न तो यात्रियों के लिए पर्याप्त बेंच है न ही पीने के लिए पानी की सुविधा. आमान परिवर्तन के बाद न तो प्लेटफॉर्मों की लंबाई बढ़ी और न ही शेड की. इससे यात्री धूप में खडे हो कर ट्रेन का इंतजार करते हैं.
प्लेटफॉर्म की लंबाई नहीं बढ़ने से एक्सप्रेस ट्रेनों के एक दर्जन से ज्यादा बोगियां प्लेटफॉर्म के बाहर खड़ी होती हैं. एसी में यात्रा करने वाले रेल यात्री हो या फिर स्लीपर क्लास के रेलवे ट्रैक पर उतरने के कारण अक्सर गिरते रहते हैं. जो लोग प्लेटफॉर्म के अंदर बैठकर ट्रेन का इंतजार करते हैं उन्हें ट्रेन आने पर सामान लेकर आगे और पीछे दौड़ना पडता है. वैसे तो इस स्टेशन को बी ग्रेड का दर्जा प्राप्त है. लेकिन बी ग्रेड के स्टेशन पर जो सुविधाएं होनी चाहियें वह भी यहां उपलब्ध नहीं है.
नहीं है कोई सुविधा : बी ग्रेड स्टेशन पर कूलिंग वाटर,महिलाओं एवं पुरुषों के लिए अलग अलग प्रतीक्षालय, साइिकल स्टैंड, एटीएम मशीन तथा कम से कम पांच बुकिंग काउंटर का होना जरूरी है. लेकिन स्थानीय स्टेशन पर ना तो एटीएम मशीन है और ना हीं साइकिल स्टैंड. पेयजल के नाम पर एक हैंड पंप लगा है.
कूलिंग वाटर की कौन कहे स्टेशन पर लगे सभी नल खराब पड़े हैं. प्रतीक्षालय की स्थिति यह है कि एक छोटे से हॉल में बुकिंग काउंटर और प्रतीक्षालय दोनों चलता है. स्टेशन से बाहर निकलने का रास्ता भी इसके बीच से होकर जाता है.ट्रेन के आने जाने के समय बुकिंग काउंटर पर इतनी लंबी लाइन होती है कि प्रतीक्षालय में जगह ही नहीं बचती.
एक दर्जन ट्रेनों का होता है परिचालन : मुजफ्फरपुर गोरखपुर रेल खंड पर चलने वाली लगभग एक दर्जन ट्रेन बगहा स्टेशन से हो कर गुजरती हैं.जिसमें 6 जोड़ी ट्रेन एक्सप्रेस हैं . इतनी ही जोड़ी पैसेंजर ट्रेन भी है.
इसके अतिरिक्त इस रूट पर आधा दर्जन माल ट्रेन का परिचालन प्रति दिन होता है. औसतन लगभग साढ़े तीन हजार लोग प्रतिदिन यहां से यात्रा करने के लिए टिकट कटाते हैं. जिससे प्रति दिन रेलवे को लगभग 1 लाख 73 हजार रुपये की आय होती है. इसके अतिरिक्त लगभग 80 हजार रुपये की आय आरक्षण से तथा 528 रुपये की आय प्रति दिन पार्सल से होती है.
नहीं शुरू हुआ आरओ का पानी, बोरिंग का चल रहा काम
लगभग 10 माह पूर्व स्टेशन पर चार आर ओ का काउंटर लगाया गया था. आर ओ काउंटर लगने के बाद लगा था कि लोगों के पेयजल की समस्या दूर हो जायेगी.
मात्र पांच रुपये में हीं लोगों को शुद्ध पेयजल मिलेगा.
लेकिन आरओ काउंटर के शुरू नहीं होने से पेयजल की समस्या वैसी की वैसी ही बनी रही. थोड़े दिनों के लिए प्लेटफॉर्म संख्या 1 पर आर ओ का काउंटर खुला भी था.लेकिन वह भी बंद कर दिया गया. आर ओ काउंटर के नहीं चलने के पिछे कारण बताया जाता है कि स्थानीय स्टेशन पर जिस बोरिंग पानी की आपूर्ति की जाती है वह बहुत पुराना है.लोगों में इस तरह की चर्चा भी है कि आपूर्ति होने वाला पानी ठीक नहीं है.जिसके कारण लोग स्टेशन पर लगे आरओ से पानी नहीं लेते थे. इस संबंध में स्टेशन मास्टर जय कुमार ने बताया कि दूसरी बोरिंग का काम चल रहा है. जल्द ही आरओ को दूसरे बोरिंग से जोड़ दिया जायेगा.

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