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नप ने धरोहरों को बनाया कूड़ेदान

मनमानी . कचरे से पाटे जा रहे बेतियाराज के ऐतिहासिक स्थल ऐतिहासिक हजारीपशु मेला ग्राउंड, चंद्रावत, राजड्योढ़ी को बना िदया डंपिंग जोन बेतिया : एशिया स्तर के मेले के लिए प्रसिद्ध बेतियाराज हजारी पशु मेला ग्राउंड को नगर परिषद ने अपना कूड़ेदान बना डाला है. हर रोज इस ऐतिहासिक भूमि पर शहर से निकला 30 […]

मनमानी . कचरे से पाटे जा रहे बेतियाराज के ऐतिहासिक स्थल

ऐतिहासिक हजारीपशु मेला ग्राउंड, चंद्रावत, राजड्योढ़ी को बना िदया डंपिंग जोन
बेतिया : एशिया स्तर के मेले के लिए प्रसिद्ध बेतियाराज हजारी पशु मेला ग्राउंड को नगर परिषद ने अपना कूड़ेदान बना डाला है. हर रोज इस ऐतिहासिक भूमि पर शहर से निकला 30 टन कूड़ा फेंका जाता है. माह में कूड़े का यह आंकड़ा 900 टन है. नतीजा यह ऐतिहासिक भूमि नगर परिषद का अवैध डंपिंग जोन बनाकर रह गया है. हालात यूं है कि जहां कभी एशिया स्तर का मेला लगता था. देश-विदेश के कारोबारी यहां व्यवसाय के लिए आते थे. उस मेले का रूप नगर परिषद के इस रवैये से सिमट गया है. दुर्गंध के बीच मेले में इक्का-दुक्का दुकानें लगती हैं.
हजारी पशु मेला ग्राउंड की स्थिति मौजूदा समय में यह है कि यहां चहुंओर सिर्फ कूड़ा ही कूड़ा दिखता है. दुर्गंध इतना ही वहां से होकर निकलना भी दूभर हो चुका है. हर रोज 30 टन कूड़ा यहां फेंका जाता है.
सुबह से दोपहर तक यहां नगर परिषद की सफाई वाहनें कूड़ा लाकर डंप करती हैं. लेकिन, कभी कोई इसका विरोध नहीं करता है और न ही जिला प्रशासन ही यहां कूड़े के डंपिंग पर रोक लगा सका है. जनता के बीच से चुनकर गये वार्ड पार्षद, सभापति, उपसभापति भी बेतियाराज के इस ऐतिहासिक धरोहर को कूड़ेदान बनने से रोकने के लिए कोई पहल नहीं करते हैं. नतीजा हजारी पशु मेला ग्राउंड पूरी तरह से अवैध डंपिंग जोन बन चुका है. इस ऐतिहासिक ग्राउंड की जो जमीनें नगर परिषद के कूड़े से मुक्त हैं, वह अवैध अतिक्रमण की जद में हैं. जिसपर भी रोक लगाने में प्रशासन नाकाम है. ऐसे में यह अनेदखी ऐसे ही जारी रही तो वह दिन दूर नहीं, जब बेतियाराज से जुड़े ऐतिहासिक धरोहर इतिहास बनकर रह जायेंगे. कागज के पन्नों में ही इसे पढ़ने को मिलेगा.
ऐतिहासिक पशु मेला ग्राउंड में फैला नगर परिषद का कूड़ा एवं राजड्योढ़ी में फेंका गया नाली से निकला मलबा.
अन्य स्थलों पर भी कूड़े, कोई सुधf लेनेवाला नहीं
नगर परिषद के कूड़ा-कचरा से बेतियाराज की सिर्फ हजारी पशु मेला ग्राउंड ही नहीं अन्य ऐतिहासिक स्थल भी कूड़े की जद में हैं. इसमें राजड्योढ़ी, संतघाट जैसे स्थल हैं. जहां नगर परिषद के सफाई वाहन कूड़ा गिराते हैं. यहां भी कूड़ा गिराने पर कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराता हैं. यूं कहे तो बेतियाराज के ऐतिहासिक स्थलों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है.
चंद्रावत को पाटने में नप की भी भूमिका
बेतियाराज के जमाने में जलमार्ग से व्यापार का सुगम रास्ता बने चंद्रावत नदी को पाटने में नगर परिषद की भी भूमिका है. इन नदी को पाट जहां अतिक्रमणकारियों ने पक्के मकान बना लिये हैं, वहीं नगर परिषद
भी इस नदी में अपने कूड़े फेंकता रहा है.
विरासत पर खतरा
नप के करोड़ों की संपत्तियों को मची है खुलेआम लूट, पुलिस-प्रशासन नहीं लगा पा रहा रोक
शहरवासी व सामाजिक संस्थाएं आयें आगे तो बने बात
दुर्गंध के बीच मेले में इक्का-दुक्का दुकानें लगतीं
58 टन रोज निकलता है शहर
से कूड़ा, 10 ट्रैक्टर, दो जेसीबी व दस ट्रिपर से लगे हैं कूड़ा ढ़ोने में
240 सफाईकर्मी करते हैं सफाई रात्रि सफाई के लिए लगे हैं 30 कर्मी
कूड़े-कचरों की होगी रिसाइकिल
हजारी पशु मेला ग्राउंड में कूड़ा फेंकने के लिए हमारे पास कोई आदेश-निर्देश नहीं है, लेकिन कूड़ा गिरता है. आप लोग ही बतायें आखिर कूड़ा कहां फेंका जाय. झिलिया में नप की भूमि है. जहां प्लांट प्रोसेसिंग प्लान बनाने की तैयारी की जा रही है. यहां कूड़े की रिसाइकिल भी की जायेगी.
विपिन कुमार, नप ईओ

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