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पंकज ने लड़ी भूमिहीनों की लड़ाई

बेतिया : जेपी आंदोलन व समाजवाद से जुड़े 55 साल के समाजसेवी पंकज बताते हैं कि चंपारण में वे नदी से विस्थापित व परचाधारियों को कब्जा दिलाने के लिए सत्याग्रह शुरू किया. 2005 में भूमि सत्याग्रह की लड़ाई के लंबे संघर्ष के बाद विस्थापितों को उनका हक मिला. फिर वे 2008 में योगापट्टी के सिसवा […]

बेतिया : जेपी आंदोलन व समाजवाद से जुड़े 55 साल के समाजसेवी पंकज बताते हैं कि चंपारण में वे नदी से विस्थापित व परचाधारियों को कब्जा दिलाने के लिए सत्याग्रह शुरू किया. 2005 में भूमि सत्याग्रह की लड़ाई के लंबे संघर्ष के बाद विस्थापितों को उनका हक मिला.

फिर वे 2008 में योगापट्टी के सिसवा मंगलपुर के 66 मुसहर समाज के परचाधारियों के लिए आंदोलन शुरू की. इस आंदोलन में भी उनको सफलता मिली और 66 लोगों को उनका हक मिला. वर्ष 2010 में बगहा में भी 400 परचाधारियों के परिवार को कब्जा दिलाने के लिए 26 जनवरी को आंदोलन पर उतरे थे. एसपी का घेराव भी इस आंदोलन के दौरान हुआ.

जिसका परिणाम हुआ कि 15 दिनों के अंदर ही इन परिवारों को जमीन पर कब्जा मिल गयी. इधर, वर्ष 2005 में मतदाताओं को जागरूक करने का भी अभियान चलाया. बताते हैं कि जब वे 22 साल के थे. तभी राज्य में 1973 का आंदोलन शुरू हुआ था. मधुबनी से उस वक्त विधायक स्व सूरज नारायण सिंह थे. जिनकी हत्या झारखंड के रांची शहर में धरना के दौरान पूंजीपतियों ने करा दी. उसके बाद समाजवाद के नेताओं का आंदोलन शुरू हो गया. उस वक्त वे छात्र संघर्ष वाहिनी के सदस्य थे. इसी बीच वर्ष 1974 में 16 मार्च को बेतिया जिला में छात्र जुलूस निकाला गया और उस पर गोलीबारी हुई.

इसमें सात छात्र मारे गये. इस घटना ने उनके जीवन को बदल दिया और वे भी आंदोलन में शामिल हो गये. इसी बीच वे गिरफ्तार हो कर भागलपुर जेल चले गये. वहीं से उन्हें समाजवाद के आंदोलन की पूरी ट्रेनिंग मिली. पंकज कहते हैं कि वे अंतिम सांस तक अपने वतन के लिए काम करते रहेंगे.

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