प्रभावित क्षेत्रों में भेजी गयीं दवाएं
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जेइ व एइएस से निपटने को स्वास्थ्य विभाग तैयार
प्रभावित क्षेत्रों में भेजी गयीं दवाएं चिकित्सा प्रभारियों को दिया गया निर्देश मोतिहारी : गर्मी के मौसम में होनेवाली घातक बीमारी जेई, एईएस मस्तिक ज्वर से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह तैयार है. इसके लिए सदर अस्पताल में एक अलग वार्ड बनाया गया है, जो पूरी तरह से वातानुकूलित है. उसमें चिकित्सक, नर्स, […]
चिकित्सा प्रभारियों को दिया गया निर्देश
मोतिहारी : गर्मी के मौसम में होनेवाली घातक बीमारी जेई, एईएस मस्तिक ज्वर से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह तैयार है. इसके लिए सदर अस्पताल में एक अलग वार्ड बनाया गया है, जो पूरी तरह से वातानुकूलित है. उसमें चिकित्सक, नर्स, वार्ड अटैंडेंट की भी व्यवस्था की गयी है. दवाएं भी उपलब्ध करा दी गयी है. इसके अतिरिक्त प्रभावित प्रखंडों में दवाएं एवं उपस्कर भेज दिया गया है. साथ ही साथ चिकित्सा पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिया जा चुका है.
बीमारी के लक्षण
यह बीमारी अप्रैल माह से लेकर जून माह के अंत तक रहता है. बरसात के मौसम में समाप्त हो जाता है. इस बीमारी में मरीज को तेज बुखार आता है और वह लगातार बना रहता है. शरीर में चमकी होने लगता है. दांत बैठने लगता है. पूरे शरीर में ऐंठन स खास अंग में ऐंठन होता है.
बच्चे सुस्त व बेहोश हो जाते हैं तथा चिउटी कांटने पर शरीर में कोई हरकत नहीं होता है. यदि इस तरह के लक्षण हो तो संबंधित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या निजी चिकित्सकोकं से सलाह लिया जा सकता है.
कैसे बच्चों में यह बीमारी होती है
मस्तिक ज्वर, जेई, एइएस नामक बीमारी अमूमन एक से 15 वर्ष के बच्चों में हो सकती है. साथ ही वैसे परिवार जो लीची के बगानों के आसवास रहते है एवं अधपका लीची का सेवन करते है तथा धूप में खेलते है वैसे बच्चों में यह बीमारी होने की अधिक संभावना रहती है.
बचाव के उपाय
मरीज यदि बेहोश न हो तो उसे ओआरएस अथवा चीनी या ग्लूकोज पिलायं. साथ ही पारासीटामॉल की दवा उम्र के हिसाब से खिलाये. बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछे और पंखे की हवा करें ताकि बुखार 100 डिग्री तक पहुंच सके.
ये प्रखंड हैं प्रभावित
मेहसी, चकिया, मधुबन, पकड़ीदयाल, कल्याणपुर, तेतरिया, फेनहारा, तुरकौलिया एवं मोतिहारी.
गत वर्ष हो चुकी है छह बच्चों की मौत
गत वर्ष पूर्वी चंपारण जिला में एइएस के 15 मरीज मिले थे, जिमसें छह बच्चों की मौत हो गयी थी. वहीं जेई से दो बच्चे आक्रांत हुए थे.
संभावित बीमारियां जैसे मस्तिष्क ज्वर, जेई तथा एईएस से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार है. इसके लिए प्रभावित क्षेत्रों में भी दवा उपलब्ध करा दी गयी है.
डाॅ प्रशांत कुमार, सिविल सर्जन, पूर्वी चंपारण
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