मोतिहारी : जिले में पेयजल की व्यवस्था काफी लचर है. कई चापाकल बंद पड़े है, जबकि कई वाटर टावर शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है. हालांकि पीएचसी विभाग कागज में पेयजल की स्थिति को बेहतर बता रहे है. पीएचडी विभाग मोतिहारी डिविजन के देहाती क्षेत्रों में 17 वाटर टावर है, जिसमें 15 चालू है तथा दो बंद है.
राज्य योजना अंतर्गत ग्रामीण पाईप जलापूर्त्ति योजना के तहत सूर्यपूर, बंजरिया, कोटवा, कल्याणपुर, हरसिद्धि, मलाही, ढ़ेकहां उत्तरी, पिपराकोठी, लखौरा, तुरकौलिया, मधुबनीघाट, संग्रामपुर, ढ़ेकहां दक्षिणी, पश्चिमी, श्रीपुर में वाटर टावर चालू है. वहीं रामगढ़वा तथा मधुबनी के वाटर टावर बंद है. वहीं मोतिहारी पीएचईडी डिविजन के 14 प्रखंडों में वित्तिय वर्ष 2015 तक 27983 चापाकल लगाये गये है. 4032 चापाकल बंद है, जिसमें 977 चापाकल को विशेष मरम्मती की आवश्यकता है, जबकि 3055 चापाकल की आयु पूरी हो गयी है. वित्तिय वर्ष 2015-16 में 1540 चापाकल का लक्ष्य है,
जिसमें एक हजार चापाकल लगाया जा चुका है. वित्तिय वर्ष 2015 तक 27983 चापाकल लगाये गये है, जिसमें 23951 चालू है तथा 4082 बंद पड़े है. सदर प्रखंड में 2757 में 382 चापाकल बंद है, तुरकौलिया में 1745 में 240, हरसिद्धि में 2182 में 307, बंजरिया में 1530 में 182, पिपराकोठी में 787 में 119, कल्याणपुर में 3025 में 387, कोटवा में 1706 में 310, अरेराज में 1960 में 293, संग्रामपुर में 1587 में 260, पहाड़पुर में 1961 में 305, केसरिया में 2049 में 366, रक्सौल में 2240 में 270, रामगढ़वा में 2323 में 297 तथा सुगौली में 2131 में 306 चापाकल बंद है.
क्या कहते हैं अधिकारी : पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता ई देवेंद्र प्रसाद ने बताया कि रामगढ़वा व मधुबनी के वाटर टावर को शीघ्र चालू किया जायेगा. वहीं, बंद पड़े चापाकल को चालू कराने की कार्रवाई की जायेगी.
कर्ज में डूबे प्रकाश ने प्रेमिका से मिल रची थी साजिश
कर्ज में डूबे अपहरणकर्ता प्रकाश ने प्रेमिका सबो से सहायता ले अपहरण की घटना को अंजाम दिया था. यह अल्फाज है तबसुम उर्फ सबो की. सबो का कहना है कि प्रकाश बहुत ही कर्ज में डूबा था. उसने कहा कि तुम्हारी चचेरी बहन का अपहरण कर लिया जाये तो मोटी रकम मिलेगी. इसके लिए प्रकाश अपने प्रेमिका सबो को तरह-तरह का प्रलोभन देने लगा.
यहां तक धमकाने भी लगा. 26 मार्च को प्रकाश, ऋषभ एवं अमर तीनों एक ब्लैक हरा डार्क कलर के स्कॉर्पियो से सेमरा गांव आये थे. उस समय घर में फातिमा की दादी, उसकी अम्मी, चाची और चाचा घर पर ही थे.
फातिमा घर से खेलते-खेलते बाहर आयी. मैंने उसे गोद में उठा लिया. दुलार, प्यार करते हुए गांव से बाहर लगी स्कॉर्पियो जिसमें प्रकाश, ऋषभ और अमर बैठे थे के सुपुर्द कर दिया. वे सभी मुजफ्फरपुर की ओर रवाना हो गये. उस समय फातिमा के अब्बा हाजी जमात में गये थे. उनका नंबर इन लोगों को दिया जो मुजफ्फरपुर पहुंचने के बाद ही फिरौती की मांग करने लगे.
कंप्यूटर इंजीनियर की पत्नी है सबो
सबो की शादी वर्ष 2008 में मेहसी निवासी इरफान के साथ हुई थी. वह पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर है जो मुजफ्फरपुर में रह कर कार्य करता है, जिससे अच्छी आमदनी होती है. सबो ने बताया कि शादी के एक साल तक ससुराल में रही उसके बाद अपने मायके सेमरा में ही रहती थी. इरफान यहीं आया-जाया करता था.
मार्च 15 में व्हाट्सएप के माध्यम से प्रकाश से हुआ था संपर्क
एक साल से वह फोन करता और हमसे मीठी-मीठी बातें करता था. व्हाट्सएप से वार्ता की पहल प्रकाश ने ही शुरू की. तीन माह तक पटना सीटी के ट्रांसपोर्ट नगर में उसके आवास पर पत्नी बनकर रही. वह इधर-उधर का काम करता था, जिससे खर्च जुटाना मुश्किल हो गया और कर्ज में डूब गया था.
एक बच्ची की मां है सबो
सबो ने बताया कि उसे एक पांच वर्षीय बच्ची भी है, जिसका नाम आयशा है. वह बहुत याद आ रही है.