मोतिहारी : कडाके की ठंड से जिंदगी ठहर सी गयी है. रूक-रूक कर बह रही पछुआ हवा व मौसम के मिजाज में आये बदलाव से लोग घरों में दुबके रह रहे हैं. मुख्य चौक-चौराहों पर अलाव की व्यवस्था नहीं रहने से परेशानी और बढ़ गयी है और यात्री बड़ी मुश्किल से सड़कों पर निकल रहे […]
मोतिहारी : कडाके की ठंड से जिंदगी ठहर सी गयी है. रूक-रूक कर बह रही पछुआ हवा व मौसम के मिजाज में आये बदलाव से लोग घरों में दुबके रह रहे हैं. मुख्य चौक-चौराहों पर अलाव की व्यवस्था नहीं रहने से परेशानी और बढ़ गयी है और यात्री बड़ी मुश्किल से सड़कों पर निकल रहे हैं.
शाम सात बजे के बाद चारों तरफ कुहासा पड़ रहा है जिस कारण सड़कों पर गाड़ी से चलना तो दूर पैदल चलना कठिन हो गया है. तापमान में भी काफी कमी आई है. कुहासा के कारण नजदीक की कोई चीजें ठीक से दिखाई नहीं दे रही है और दुर्घटना होने की संभावना बनी रह रही है. इस कारण सड़कों पर सन्नाटा भी छा जा रहा है. गावों की सड़कों पर छह बजे के बाद ही सन्नाटा दिख रहा है.
साढ़े सात के बाद बंद हो जा रहे बाजार
कुहासा व ठंड का व्यापक असर बाजारों पर भी दिख रहा है. रात साढ़े सात होते-होते बाजारों से लोग गायब हो जा रहे हैं. दुकानें बंद हो जा रही है और फिर अगले दिन 11 बजे के बाद ही खुल रही है.आम दिनों में दुकानें रात को दस बजे तक खुली रहती थी जो तीन घंटे पहले ही बंद हो जा रही है. शहर के मीना बाजार, जानपुल, छतौनी समेत सभी बाजारों व दुकानों की स्थिति अभी एक जैसी है. ठंडी के कारण गावों से भी लोग शहर की ओर नही आ रहे हैं.
अलाव के लिए लकड़ी की मांग बढ़ी
लगातार बढ़ रही ठंडी से बचने के लिए अलावा एक महत्वपूर्ण संसाधन है. इसको लेकर लकड़ी की मांग काफी बढ़ गयी है और महंगे दामों पर लकड़ी की बिक्री हो रही है. गावों से भी लोग लकड़ी मंगा रहे हैं और अपने को ठंड से बचाने का भरपूर प्रयास कर रहे है.
गत नौ साल में सबसे अधिक ठंडा रहा 2015
वर्ष 2006 से लेकर वर्ष2015 तक के तापमान पर नजर डालते हैं तो पता चलता है कि सब से अधिक ठंड पिछले वर्ष 2015 में थी. वर्ष 2015 में अधिकतम तापमान 21.8 डिग्री थी जबकि न्यूनतम तापमान 3.8 डिग्री मापी गयी थी.